मगहर/संतकबीरनगर। उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग लखनऊ की निदेशक रेनू द्विवेदी के निर्देशन में क्षेत्रीय पुरातत्त्व इकाई, गोरखपुर द्वारा विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर गुरुवार को उत्तरप्रदेश की ऐतिहासिक व पुरातात्विक विषयक पर कबीर चौरा परिसर स्थित ताना बाना केंद्र में छाया चित्र प्रदर्शनी तथा स्मारक भ्रमण का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गुरुवार को संतकबीर आचार्य रामबिलास इंटरकालेज व संतकबीर विद्यापीठ इंटरकालेज मगहर के विद्यार्थियों को उत्तर प्रदेश राज्य संरक्षित स्मारक संत कबीर की समाधि एवं मजार का शैक्षणिक भ्रमण कराया गया। बतौर मुख्यातिथि महंत विचारदास ने कहा कि हमारी विरासत ही हमारी संस्कृति की पहचान है।इसके प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। आगे कहा कि सद्गुरु कबीर की निर्वाणस्थली भी हमारी सांस्कृति धरोहर है।इसके महत्व को समझने की आवश्यकता है।कबीर साहेब ने इंसानियत और मानवता की बात की है।साथ ही हमें जीवन जीने का रास्ता भी दिखाने का हरसम्भव प्रयास किया है। क्षेत्रीय पुरातत्त्व अधिकारी रामविनय ने कहा कि कबीर हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतिमूर्ति तो हैं ही साथ ही साथ वे समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार के आडंबर के विरोधी भी हैं। हम उन्हे एक ही साथ हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों में व्याप्त कुरीतियों का विरोध करते हुए पाते हैं।उन्होंने बताया कि विश्व धरोहर दिवस मनाने का उद्देश आम लोगों को देश की धरोहरों के प्रति जागरूक करना है। ज्ञातव्य है की आये दिन प्राचीन धरोहरों पर अतिक्रमण का खतरा बना रहता है।लोगों की सामान्य मानसिकता यह है कि सरकारी संपत्ति को किसी भी तरह व्यक्तिगत उपयोग में लाया जाये और इस लालच में लोगों द्वारा सरकारी संपत्ति का अतिक्रमण एवं दुरुपयोग होता है।जब आम जन अपने देश की धरोहर के प्रति जागरूक होंगे इसके महत्व को जानेंगे तब वे स्वतः ही इसके संरक्षण में सहयोग करेंगे। स्मारकों के संरक्षण में असम जन लोगों का सहयोग आवश्यक है। राकेश मिश्रा ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी बनती है कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को दनजोकर रखें।ताकि आने वाली हमारी पीढियां इससे अवगत होसके।डाक्टर राकेश सिंह ने कहा कि हमारी धरोहरों में ही हमारी संस्कृति व रहन सहन के साथ ही जीवन जीने की कला छिपी हुई है।इसके अवलोकन करने से उसके बारे में नजदीक से जान सकते हैं।इसके लिये सपनी धरोहरों,स्मारकों के स्थलों का बच्चों को भृमण करना चाहिये।कार्यक्रम का संचालन आदेश सिंह ने किया। कार्यक्रम में महंत विचारदास,क्षेत्रीय पुरातत्त्व अधिकारी गोरखपुर रामविनय,प्रबन्धक राकेश मिश्र, प्रधानाचार्य डाक्टर रसकेश सिंह,बीरेंद्र यादव,विजय प्रताप त्रिपाठी,अब्दुल जफर,डाक्टर रत्नेश मिश्र,विजय रत्न,रमेश प्रसाद,गौरवप्रताप यादव,रामकुमार बर्मा,उदयनरायन राय,दुर्गेश कुमार सिंह,रामकुंवर मौर्य,मोहम्मद दीन,शिवनरायन बर्मा,मुकेध यादव,उपस्थित रहे।