खनन माफियाओं की मनमानी के आगे सारे नियम कानून हुए बेअसर

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बेख़ौफ़ ओवरलोडिंग कर फर्राटा भर रहे बालू लदे ट्रक
कालपी। खनन की समय सीमा महज कुछ दिन शेष हैं ऐसे में खनन कारोबारी बालू का भण्डारण करने में लगे हैं जिसमें उन्होंने नियम और कानून को ताक पर रख दिया है। मानक से कई गुना बालू लादकर दिन-दहाड़े उनके ट्रक फर्राटा भर रहे हैं पर किसी की नजर नही है।वैसे तो खनिज का अवैध परिवहन यहां के लिए कोई नया काम नहीं है बल्कि वर्षो से होता आ रहा है हालाकि समय समय पर परिवहन और खनिज विभाग इसके खिलाफ कार्रवाई भी करते रहते है बावजूद इसके यह कारोबार कम होने के बजाय और बढ़ता जा रहा है और ओवरलोडिंग और बिना खनिज प्रपत्र के खनिज परिवहन आम हो गया है। हालांकि अब खनन का समय खत्म हो रहा है और 30 जून को खनन कारोबार तीन माह के लिए बंद हो जाएगा लेकिन खनन कारोबारियों ने तीन माह खनन कारोबार बंद होने का भी तोड़ निकाल लिया है अब बालू का भण्डारण करने में लगे हैं लेकिन माफिया उसमे भी खेल करने में लगे हैं। सूत्रों की माने तो कम मात्रा में बालू भण्डारण की प्रशासन से अनुमति लेकर वह कई गुना बालू का भण्डारण कर लेते हैं जिसके चलते कदौरा से लेकर भोगनीपुर तक बालू के पहाड़ खड़े हो रहे हैं जिसके लिए बालू घाटो से दिन रात मानक से कई गुना बालू लादकर हाईवे पर फर्राटा भर रहे हैं लेकिन खनन कारोबारियों के इस गोरखधंधे पर किसी की नजर नही है जबकि क्षेत्र में बालू का अवैध परिवहन रोकने के लिए परिवहन विभाग के साथ खनिज विभाग एवं प्रशासनिक विभाग के अधिकारियों की भी जिम्मेदारी है लेकिन सब कुछ ऐसे चल रहा है कि कही कुछ गलत नहीं है जबकि हाईवे से दिनदहाड़े मानक से कई गुना बालू लादकर ट्रक गुजर रहे हैं लेकिन अभी तक ख़नन कारोबारी का एक भी ट्रक बन्द नही हुआ है। वहीं ऐसा भी नहीं है कि ओवरलोडिंग से सिर्फ सडको का ही नुकसान हो रहा हो बल्कि क्षमता से कई गुना बालू लादकर गुजरने वाले ट्रक भी पुल के लिए खतरा है। मालूम हो कि वर्ष 2013 में ओवरलोड वाहनों की आवाजाही से पुराने यमुना पुल की दोनो तरफ की बीम चटक गई थी हालांकि समय रहते विभाग के जिम्मेदारों की नजर भी उस पर पड गई थी अन्यथा बड़ा हादसा भी हो सकता था और यह पुल 6 माह से अधिक समय के लिए बंद भी रहा था और लाखों रुपये खर्च होने के बाद यातायात शुरू हो सका था और आवागमन शुरू करने से पहले हाईवे अथॉरिटी ने ओवरलोड वाहनों की निकासी पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन को पत्र भी भेजा था।


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