भारत के महान क्रांतिकारी भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 अश्वनी कृष्ण पक्ष सप्तमी को प्रचलित है परंतु तत्कालीन अनेक साक्ष के अनुसार उनका जन्म 27 सितंबर 1907 ई को एक सिख परिवार में हुआ था उनकी जन्म भूमि बंगा गांव पश्चिम पंजाब में है जो अब पाकिस्तान में है उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था वह एक किसान परिवार से थे अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़ भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की वर्ष 1922 में चौरी चौरा हत्याकांड के बाद गांधी जी ने जब किसानों का साथ नहीं दिया तब भगत सिंह बहुत निराश हुए उनकी बात उनका अहिंसा से विश्वास कमजोर हो गया और वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सशस्त्र क्रांति ही स्वतंत्रता दिलाने का एकमात्र रास्ता है उसके बाद वह वह चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में गठित हुई गदर दल के हिस्सा बन गए काकोरी कांड में राम प्रसाद बिस्मिल सहित चार क्रांतिकारियों को फांसी व 16 अन्य को कारावास की सजा से भगत सिंह इतने अधिक uddign हुए की चंद्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ गए और उनके एक नया नाम दिया हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन इस संगठन का उद्देश्य सेवा त्याग और पीड़ा झील सकने वाले नवज्वक तैयार करना था भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 सितंबर 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज अधिकारी बर्नी सैंडर्स को मारा था इस कार्रवाई में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने उनकी पूरी सहायता की थी क्रांति के साथ मिलकर भगत सिंह ने वर्तमान नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन केंद्रीय असेंबली के सभागार संसद भवन में 8 अप्रैल 1929 को अंग्रेज सरकार को जगाने के लिए बम और पर्ची भी फेक बम फेंकने के बाद दोनों ने वही अपनी गिरफ्तारी भी दे दी जिसके फल स्वरुप अंग्रेज सरकार ने इन्हें 23 मार्च 1931 को उनकी दो अन्य साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी पर लटका दिया