एक दशक से बंद व खंडहर हो चुकी चीनी मिल मे ये सभी निर्वाचित महानुभाव क्या करेंगे

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सिकन्दपुर बलिया/ 16 जनवरी 1974 में बलिया के औद्योगिक क्षेत्र रहे रसड़ा के माधोपुर मे 50एकड़ से अधिक भूमि पर स्थापित हुई थी द किसान सहकारी चीनी मिल जिसमे 2500 से अधिक श्रमिक कर्मचारी और अधिकारी कार्यरत थे बलिया जनपद व आसपास के गन्ना किसानो सहित हजारो लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से लाभान्वित थे कभी जिसकी चमक से चमकता था रसड़ा सहित बलिया जिला लेकिन मिल के अत्यंत जर्जर होने मरम्मत न होने तथा मशीनों के खराब व सड़ जाने भ्रष्टाचार व लूट-खसोट के कारण 16 फरवरी 2013 को चीनी मिल पर ताला लग गया मिल बंद होते ही खरीद नही होने से किसानो के लिए गन्ना घाटे की फसल हो गई और इसके साथ ही हजारो लोगो की आजीविका प्रभावित हो गई लोगो के अनुसार वर्ष 2018-19 के बजट मे योगी सरकार ने 350 करोड की धनराशी का प्रावधान मिल को चालु करने के लिए किया टेंडर निकाला गया लेकिन सफेद हाथी बन चुकी मिल को चलाने के लिए कोई आगे नही आया इस तरह मिल से जुडे लोगो की आशा की किरण पुरी तरह से बुझ गई एक दशक से पुरी तरह से बंद पड़ी चीनी मिल आज खंडहर बन गई है चारो तरफ झाड़-झंखाड उग गये है कभी बलिया का दर्शनीय स्थल रहा चीनी मिल आज जंगली जानवरो का स्थाई अड्डा बन गया है चीनी मिल चालू होने की निकट भविष्य मे तो कोई सम्भावना नही दिख रही लेकिन खंडहर इमारत व जर्जर मशीनो व जंगली झाडियो से घिरे चीनी मिल परिसर मे आज संचालको (डायरेक्टर) का चुनाव हो रहा है और फिर चेयरमैन चुने जायेंगे चुनाव अधिकारी सहायक चुनाव अधिकारी सहित दर्जनो सरकारी कर्मचारी पिछले कुछ सप्ताह से इसमे व्यस्त है पुरे जोश-खरोश के साथ सत्ता पक्ष व विपक्ष ये चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बना कर लड़ा लेकिन सता पक्ष की जय रही  लेकिन बलिया वासियो को कोई बतायेगा की एक दशक से बंद व खंडहर हो चुकी चीनी मिल मे ये सभी नवनिर्वाचित महानुभाव इस राज में क्या करेंगे ये समय बताएगा

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