महराजगंज तराई (बलरामपुर)/ हैंडपंप रिबोर के नाम पर गांवों में दिल खोलकर बजट खर्च किए जाते हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी रहती है। रिबोर के नाम पर भारी बजट खर्च होने के बाद भी हैंडपंपों से शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है। गांवों में पाइपलाइन से पेयजल व्यवस्था की जा रही है लेकिन, जिस गति से कार्यदायी संस्था काम कर रही है उससे शुद्ध पेयजल मिलने का सपना अभी दूर की कौड़ी है। हैंडपंप रिबोर के नाम पर सरकारी धन खर्च कर सिर्फ कागज पर काम कैसे होता है। दैनिक भास्कर की पड़ताल करती रिपोर्ट…
विकास खंड तुलसीपुर के अन्तर्गत ग्राम पंचायत सुखरामपुर में कुल 21 हैंडपंप लगे हैं। इनके मरम्मत पर करीब छह लाख रुपये खर्च कर दिए गए लेकिन, चालू सिर्फ पांच हैं। बाकी खराब हैं। इसको लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है। रिबोर की तो बात छोड़िए हैंडपंप का आधा भाग ऊपर से गायब है। आखिर यह रुपये कहां खर्च किए गए हैं इसकी जांच होनी चाहिए। ग्रामीणों ने बताया कि पेयजल के लिए समूचे गांव में छोटे हैंडपंप के दूषित पानी पर निर्भरता है। सरकारी हैंडपंप खराब हैं। हर वर्ष इसे सही कराने के नाम पर पैसे खर्च किए जाते हैं। विभागीय पोर्टल पर वर्ष 2022-23 में नल रिबोर कराने के लिए कुल छह लाख 91 हजार 608 रुपये खर्च करना अंकित है। ग्रामीण शब्बीर अहमद जमालुद्दीन शाह, छोटकउ, राजेंद्र यादव, दीप नारायण यादव, अरुण कुमार व मुन्ना पांडेय ने इस अनियमितता की जांच कराने की मांग विभाग के उच्च अधिकारियों से की है। खंड विकास अधिकारी तुलसीपुर अनूप कुमार सिंह ने बताया कि जांच कर कार्रवाई की जाएगी।