अजय कुमार गर्ग इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट द्वारा “विश्वंभरा” कार्यक्रम का सफल आयोजन

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गाजियाबाद/ अजय कुमार गर्ग इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के EARTH क्लब द्वारा आयोजित “विश्वंभरा” कार्यक्रम ने पर्यावरण संरक्षण और पुनर्चक्रण के महत्व को बढ़ावा देने का एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य “3R’s Recycle, Reduce, Reuse” के सिद्धांतों को बढ़ावा देना और छात्रों को रचनात्मकता व नवाचार का मंच प्रदान करना था। इसमें छात्रों ने पुराने कागज और प्लास्टिक का उपयोग कर अनोखे और उपयोगी उत्पाद बनाए। प्रतियोगिता में तीन राउंड शामिल थे पेपर रीसाइक्लिंग, प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और इन दोनों सामग्रियों के संयोजन से उत्पाद निर्माण। कार्यक्रम संस्थान के निदेशक डॉ. टी. आर. पांडे के मार्गदर्शन में हुआ। उन्होंने अपने संबोधन में पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए EARTH क्लब की इस पहल की सराहना की। डॉ. सरजू पंडिता और डॉ. संगमित्रा दास ने निर्णायक मंडल की भूमिका निभाते हुए छात्रों की प्रस्तुतियों का मूल्यांकन किया और उनके नवाचार व रचनात्मकता की प्रशंसा की। “विश्वंभरा” न केवल प्रतियोगिता थी, बल्कि छात्रों को पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के प्रति प्रेरित करने का एक मंच भी था। कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि छोटी-छोटी आदतें, जैसे कचरे का पुनर्चक्रण और पुराने सामानों का पुनः उपयोग, पर्यावरणीय समस्याओं को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। प्रतियोगिता के दौरान छात्रों ने पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिए रचनात्मक और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया। कार्यक्रम में निम्नलिखित छात्रों को पुरस्कार दिए गए: क्रिएटिव प्रोडक्ट प्रतियोगिता में खुशी त्यागी और पेपर उत्पाद से बने फोटो फ्रेम के लिए झान्वी यादव ने पहला स्थान जीता। अरुण और आशना को पेपर रीसाइक्लिंग से बने पेपर बैग के लिए दूसरा स्थान मिला। मीत लाखमानी और आस्था शर्मा ने पेपर व प्लास्टिक से बने वेस विद फ्लावर के लिए तीसरा स्थान हासिल किया। “विश्वंभरा” कार्यक्रम ने यह साबित किया कि छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। यह आयोजन न केवल छात्रों के बीच पर्यावरणीय जिम्मेदारी को प्रोत्साहित करने में सफल रहा, बल्कि उनकी रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। EARTH क्लब ने घोषणा की कि भविष्य में इस तरह की और गतिविधियां आयोजित की जाएंगी, ताकि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में व्यापक स्तर पर योगदान दिया जा सके।


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