जमानियां। सरकार की आमद मरहबा एक इस्लामी नारा है जिसका अर्थ है। सरकार का आगमन मुबारक हो चुका है। यह नारा मुख्य रूप से पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन (ईद मिलादुन्नबी) के जुलूसों और जश्न के दौरान इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें अनुयायी पैगंबर के आने की खुशी मनाते हैं। कस्बा स्थित शाही जामा मस्जिद के सेकेट्री मौलाना तनवीर रजा ने शुक्रवार को तकरीर पेश करते हुए। कहा कि अपने नबी के नाम लेने पर कानपुर जिस तरह से मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिसिया एक तरफा कार्यवाही से अपने मानसिकता को उजागर कर दिया है। लेकिन देश का मुसलमान जुल्म के खिलाफ चुप नहीं बैठने वाले अपने नबी की शान में जान दे सकते है। तो जान ले भी सकते है। क्योंकि इसी नारे के साथ ही सरकार की आमद मरहबा या या रसूलल्लाह जैसे अन्य नारे भी लगाए जाते हैं। इसमें किसी अन्य मजहब के लोगों या प्रशासन के अधिकारियों को परेशानी नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुसलमान का हर एक बच्चा आपसी मिल्लत चाहता है। क्योंकि हमारे नबी का फरमान है। कि ऊंच,नीच छोटा बड़ा नहीं होता। हमसब एक बराबर में है। और एक रहेंगे। उन्होंने कहा कि मुसलमान किसी अन्य मजहब द्वारा लगाए जा रहे। नारों के खिलाफ कभी आवाज नहीं उठाया है। और ना ही कभी उठाएंगे। इसलिए की मुसलमान अपने पैगम्बर मोहम्मद साहब के द्वारा बताएं गए। वसूलों पर चलने की कोशिश करता है।
तनवीर रजा ने बताया कि यह नारा पैगंबर मुहम्मद को सरकार के रूप में संबोधित करता है। जो इस्लाम में उनके उच्च स्थान को दर्शाता है। आमद का अर्थ आगमन है। और मरहबा का अर्थ स्वागत या मुबारकबाद है। मौलाना जैनुल आब्दीन ने कहा कि जश्न-ए-विलादत यानि ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर मुस्लिम समाज के लोग घरों और मस्जिदों को सजाते हैं। और जुलूस निकालते हैं। इसी जुलूस के दौरान यह नारा बुलंद किया जाता है। जिसमें लोग अपने प्रिय पैगंबर के आगमन का जश्न मनाते हैं। और इस नारे का प्रयोग जुलूसों में धार्मिक झंडे लहराते हुए। और बैंड-बाजे के साथ किया जाता है। यह मुस्लिम समुदाय में एकता और उल्लास का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि सरकार की आमद मरहबा एक ऐसा नारा है। जो पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन पर उनकी آمد का स्वागत करने और उनकी शान में अपनी खुशी और सम्मान व्यक्त करने के लिए लगाया जाता है।