ग्राम लागौन के नवनिर्मित जैन संत भवन में दी गई आचार्य श्रेष्ठ को विनयांजलि

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ललितपुर- ग्राम लागोंन मैं नव निर्मित संत भवन  में  परम पूज्य आचार्य गुरुदेव विद्यासागर जी महाराज को विनयांजलि अर्पित करने हेतु सभा का आयोजन किया गया जिसमें स्थानीय एवं बाहर से पधारे लगभग 500 श्रद्धालू उपस्थित हुए।सर्व प्रथम आचार्य श्री के चित्र के समक्ष बाहर से पधारे सभी महानुभावों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन किया गया। इसके उपरांत श्रीमती गुणमाला जैन  एवं श्रीमती रिचा जैन द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया  तत्पश्चात आचार्य श्री को भाव पूर्ण वियांजली देने का क्रम शुरु हुया जिसमें उपस्थित अनेक वक्तायों ने अपने संस्मरण सुनाते हुए अपनी भावपूर्ण विनंयान्जलि गुरुदेव के चरणो में समर्पित की विनयांजलि देने वालों में प्रमुख रूप से  संतोष बरौदा,  मनोज  चंदेरी , विजय चंदेरी,  सुनील  समैया एडवोकेट,  अशोक जैन जखौरा, सुमत जैन हक्कू, स्वप्निल वरया  सुशील ननौरा, श्रीमती राजकुमारी, सुबोध बढ़घरिया  देवेंद्र जैन ग्राम प्रधान के अलावा बामौर,खनियांधाना,ग्वालियर से आये महानुभावों ने अपने उदगार व्यक्त किए   अंत में दिगम्बर जैन पंचायत समिति लागोंन के अध्यक्ष सिंघई विजय कुमार जैन द्वारा उपस्थित सभी महानुभावों का आभार व्यक्त किया गया। उन्होंने गुरुदेव को विनयांजलि अर्पित करते हुए सभी से अनुरोध किया कि गुरुदेव भौतिक रूप से भले ही हमारे बीच नहीं है किन्तु वे हम सवके हृदय में हमेशा विराजमान रहेंगे। उनके संदेशों को आत्मसात करके एवं उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर हम अपने जीवन को सफल व सार्थक बना सकते है। गुरुदेव हमेशा त्याग धर्म को सर्वोपरि मानते थे व दान देने की प्रेरणा देते थे अतः आज के दिन हमें भी कुछ न कुछ दान अवश्य ही करना चाहिए। गुरुदेव के लिए यही हमारी सच्ची विनयांजलि होगी। उनके इस आह्वान पर बहुत से श्रद्धालुयो ने दान राशि प्रदान की व संत शाला के प्रांगढ़ मैं पेवर लगवाने हेतु राजेश जैन पिंकी जैन इंदौर तथा श्रीमती तिलकवती मातेश्वरी  प्रवीण कुमार जैन कवाड़ी ललितपुर द्वारा घोषित की गयी जिनके पुण्य की अनुमोदना कमेटी द्वारा की गई। इस प्रसंग में  स्वर्गीय  जिनेन्द्र कुमार चौधरी की तेरहवीं के अवसर पर बाहर से सभी महानुभाव पधारे थे।  जिनेंद्र कुमार  चौधरी का निधन विगत 11 फरवरी को हो गया था, उनके पुत्रों ने भी लागौन मंदिर को  दान राशि की घोषणा की।कार्यक्रम का संचालन  राजेश कुमार जैन शास्त्री वडघरिया ने किया जिनके ओजस्वी वक्तव्य व मधुर शैली से सभी लोग काफी प्रभावित हुए । उन्होंने भी आचार्य श्री को अपनी भावपूर्ण विनयांजलि समर्पित की।

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