यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की मैनेजिंग डायरेक्टर उपासना अरोड़ा ने अमर उजाला को बताया कि कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें 10 से 15 साल के छोटे बच्चों में भी हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर के कारण मौत हुई है।
हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर की घटनाएं आमतौर पर बड़ी उम्र के लोगों को हुआ करती थीं, लेकिन कोरोना काल के बाद 30-40 साल के उम्र के लोगों में भी इन बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। अचानक कोई काम करते हुए, डांस या जिम में व्यायाम करते हुए अचानक लोगों के हार्ट फेल होने की घटनाएं बढ़ी हैं। लेकिन आश्चर्यजनक ढंग से 10 से 15 साल के छोटे बच्चों में भी हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर की घटनाएं सामने आई हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ यह देखकर हैरान हैं कि बेहद कम उम्र के मासूम भी अब इस तरह की गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
क्या हो सकता है कारण
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की मैनेजिंग डायरेक्टर उपासना अरोड़ा ने अमर उजाला को बताया कि कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें 10 से 15 साल के छोटे बच्चों में भी हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर के कारण मौत हुई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन ये कुछ घटनाएं भी ये संकेत करने के लिए पर्याप्त हैं कि अब इस तरह की गंभीर बीमारियों का खतरा दबे पांव छोटे-छोटे मासूम बच्चों को भी अपनी जकड़ में लेने की कोशिश कर रहा है। समय रहते इस समस्या के कारण और इसके निदान के बारे में विचार करना चाहिए।
कोरोना काल के बाद से ही यह देखा जा रहा है कि जो लोग कोरोना से पीड़ित हुए थे, उनमें हार्ट अटैक जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। हालांकि, इसका सही कारण क्या है, इस पर रिसर्च चल रही है, अंतिम रूप से परिणाम सामने आने के बाद ही इस पर आधिकारिक रूप से कुछ कहा जा सकेगा। लेकिन इतना तय है कि कोरोना के कारण लोगों में कम हुई इम्यूनिटी इस तरह के गंभीर रोगों को दावत देने का काम कर रही है।
क्या हो सकता है कारण
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की मैनेजिंग डायरेक्टर उपासना अरोड़ा ने अमर उजाला को बताया कि कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें 10 से 15 साल के छोटे बच्चों में भी हार्ट अटैक या हार्ट फेल्योर के कारण मौत हुई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन ये कुछ घटनाएं भी ये संकेत करने के लिए पर्याप्त हैं कि अब इस तरह की गंभीर बीमारियों का खतरा दबे पांव छोटे-छोटे मासूम बच्चों को भी अपनी जकड़ में लेने की कोशिश कर रहा है। समय रहते इस समस्या के कारण और इसके निदान के बारे में विचार करना चाहिए।
कोरोना काल के बाद से ही यह देखा जा रहा है कि जो लोग कोरोना से पीड़ित हुए थे, उनमें हार्ट अटैक जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। हालांकि, इसका सही कारण क्या है, इस पर रिसर्च चल रही है, अंतिम रूप से परिणाम सामने आने के बाद ही इस पर आधिकारिक रूप से कुछ कहा जा सकेगा। लेकिन इतना तय है कि कोरोना के कारण लोगों में कम हुई इम्यूनिटी इस तरह के गंभीर रोगों को दावत देने का काम कर रही है।