कमलेश यादव गाजीपुर । स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आदिवासी लोकनायक बिरसा मुण्डा की जयन्ती आज जनपद में ‘जनजातीय गौरव दिवस‘ के रूप में मनाई गयी। मुख्य अतिथि लक्ष्मण आचार्य जी महामहिम राज्यपाल सिक्किम ने लंका मैदान में दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। मंच पर आसीन मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियो का स्वागत स्मृति चिन्ह एवं पुष्पगुच्छ देकर किया गया। स्वागत की इस घड़ी में स्कूली छात्राओ द्वारा स्वागत गीत एवं कलाकारो द्वारा करमा नृत्य की प्रस्तुति मनमोहक रही। इस दौरान उन्होने जनपद के ऐसे अनुसूचित जनजाति के युवाओ को मेडल एवं अंगवत्रम देकर सम्मानित किया जिन्होने शिक्षा, खेल एवं अन्य क्षेत्रो स्थान प्राप्त कर अपने जनपद का नाम रोशन किया।
मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल सिक्किम आचार्य लक्ष्मण जी ने अपना सम्बोधन व्यक्त करते हुए कहा कि आज भगवान बिरसा मुण्डा की जयन्ती ‘‘जनजातीय गौरव दिवस‘‘ के रूप में पूरे देश मे मनाई जा रही है। भगवान बिरसा मुण्डा ने हमारे देश, अपनी संस्कृति, हमारे परम्पराओं, हमारे मूल्यों के लिए अपने प्राणो की आहूति देकर अपनी छोटी सी आयु मे बड़ा कार्य किया था। उन्होने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस, जनजातीय समुदाय के संस्कृति विरासत के संरक्षण, राष्ट्रीय गौरव, वीरता तथा भारतीय मूल्यो को बढावा देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष मनाया जाता है। उन्होने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मै यहां इस जनपद में आया हॅू, जनपद गाजीपुर संघर्षो एवं वीरो की धरती है तथा इस जनपद का बहुत ही गौरवशाली इतिहास रहा है। इस बलिदानी धरती ने देश के लिए बहुत कुछ दिया है। उन्होने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आदिवासी लोकनायक विरसा मुण्डा के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए विस्तृत जानकारी दी। उन्होने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का जन्मदिन, झारखंड के लिए ऐतिहासिक दिन हैं भगवान बिरसा मुंडा के पिता का नाम सुगना पूर्ति और माता का नाम करमी पूर्ति था. कम उम्र में ही बिरसा मुंडा की अंग्रेजों के खिलाफ जंग छिड़ गई थी, जिसे उन्होंने मरते दम तक कायम रखा था. बिरसा मुंडा और उनके समर्थकों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे। जल, जंगल, जमीन और स्वत्व की रक्षा के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया। आजादी के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले भगवान बिरसा मुण्डा ने उलगुलान क्रांति का आह्वान किया. भगवान बिरसा मुंडा की गौरव गाथा युगों-युगों तक प्रेरणा देती रहेगी।