कहना न होगा कि बुद्धा हास्पिटल मे आपरेशन के बाद जब प्रेम की हालत बिगड़ने लगी तो हास्पिटल के संचालक डाँ. नंदलाल मरीज को जिला अस्पताल भेजकर वहा से प्रेम को लखनऊ केजीएमयू रेफर कराया जहां केजीएमयू में डॉक्टर ने रीमा देवी को गलत ऑपरेशन की बात बताईऔर इलाज शुरू किया लेकिन प्रेम की जान नही बचा सके। इसके बाद सुलह-समझौते के नाम पर बुद्धा हास्पिटल के संचालक डाँ नंदलाल कुशवाहा ने मृतक प्रेम की पत्नी को 70 हजार रुपये का चेक देकर मामले को शांत करने का प्रयास किया। इतना ही नही नंदलाल कुशवाहा ने दाह संस्कार के बाद प्रेम के इलाज मे खर्च हुए धनराशि को देने रीमा व उसके परिजनो से वायदा भी किया था। सवाल यह है कि चिकित्सकीय लापरवाही के कारण प्रेम की असमय हुई मौत के जिम्मेदार बुद्धा हास्पिटल व उसके संचालक नही है तो फिर डाँ. नंदलाल कुशवाहा ने तबीयत बिगड़ने के बाद प्रेम को जिला अस्पताल भेजकर वहा से केजीएमयू लखनऊ रेफर क्यो कराया? अगर प्रेम की मौत का जिम्मेदार बुद्धा हास्पिटल नही है तो फिर अस्पताल के संचालक नंदलाल कुशवाहा ने 70 हजार रुपये का चेक रीमा देवी क्यो दिया? अगर बुद्धा हास्पिटल के चिकित्सकीय लापरवाही से प्रेम की मौत नही हुई तो फिर डाँ. नंदलाल ने दाह संस्कार के बाद प्रेम के इलाज मे खर्च हुए रुपये देने का वायदा रीमा देवी से क्यो किया? यह तमाम बुनियादी सवाल है जो बुद्धा हास्पिटल व उसके संचालक को किसी भी सूरत में दोषमुक्त करार नही करती है