गाजीपुर। सहायक विकास अधिकारी कृषि जखनिया रामभरोस भारद्वाज ने कहा की पराली को खेत में ना जलाएं क्योंकि पराली से कई तरह के नुकसान होते हैं जैसे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है पराली जलाने से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है मिट्टी की जैविक संरचना पर भी असर पड़ता है वायु प्रदूषण इससे बढ़ता है परली से कार्बन मोनोऑक्साइड मीथेन गैस वाष्प शील कार्बनिक यौगिक और कार्सिनोजेनिक पॉलीसाइक्लिक एरोमांटिक कार्बन यौगिक जैसी हानिकारक गैस वातावरण में फैलती है स्वास्थ्य पर भी असर होता है परली की धुओ से आंखों में जलन त्वचा रोग और हृदय की बीमारियां हो सकती हैं गर्भवती महिलाओं के लिए यह धुआं बहुत ही खतरनाक होता है । मित्र कीटों को नुकसान भी करती है जिससे मिट्टी में उपस्थित खनिज व लवण पौधों तक नहीं पहुंच पाता है क्योंकि यह मित्र कीट करियर का कार्य करते हैं। और परली के कई प्रयोग भी बताईं उन्होंने बताया कि पराली का उपयोग जैविक खाद वर्मी कंपोस्ट की खाद फसल अवशेष की खेत में पानी भरकर भी सीधे जुटा कारण समस्त फसल अवशेष मिट्टी में मिलकर सब जाएगा जिस भूमि की उर्वरा शक्ति भूमि की संरचना एवं सबसे महत्वपूर्ण कार्बन एवं ह्यूमस की मात्रा बढ़ जाएगी जिससे आगामी फसल की पैदावार में बहुत ज्यादा इजाफा होता होगा जिससे किसान की आई में वृद्धि की जा सकती है ।जलने पर जुर्माना – दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को प्रतिघटना₹5000 का भुगतान करना होगा, 2 से 5 एकड़ के भूमि वाले किसान को प्रति घटना ₹10000 का भुगतान करना होगा, 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों को प्रति घटना₹30000 का भुगतान करना होगा इस तरह की जानकारी इनके द्वारा दिया गया इसे सभी भाई किसान बंधु से अपील है कि पराली को खेत में ना जलाएं।