भदोही। नगर के रजपुरा में स्थित ब्रह्माकुमारीज के विश्व शांति भवन में शनिवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पुलिस अधीक्षक अभिमन्यु मांगलिक सहित बीएचयू के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ रिची सिन्हा, विजय कुमार सिन्हा सपरिवार व सम्भ्रांतजन कार्यक्रम में पहुंचे। वरिष्ठ कालीन निर्यातक विमल बरनवाल, रूपेश बरनवाल, अमर हर्ष, केवल मित्तल, देवा जायसवाल आदि पहुंचकर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव में बढ़चढ़ कर हिस्सा हुए। इस दौरान ब्रह्माकुमारी विजयलक्ष्मी बहन जी ने कहा कि स्वर्णिम संसार में पवित्रता सुख, शांति और समृद्धि थी और जहां एक भाषा, एक धर्म, एक कुल सम्पूर्ण एकता थी उस सतयुगी दुनिया के पहले राजकुमार श्री कृष्ण थे। वर्तमान समय सारा संसार ही जैसे कंसपुरी बन गया है। कंस ने देवकी के बच्चो को जन्म लेते ही उनसे जीवन छीन लिया था। उस समय धर्मप्रेमी प्रभुप्रेमी भक्तो का जीना मुश्किल हो गया था। यहां तक प्रकृति भी कंस के इस अत्याचार से परेशान थी। इस कलियुग मे तो अजन्मे बच्चो को मां की कोख में ही मार दिया जाता है। धर्म के नाम पर अधर्म का कार्य किया जा रहा है। ऐसे समय पर ही श्री कृष्ण को अवतरित होते हुए दिखाया गया है और फिर उन्होने कंस के अत्याचार से अपने माता पिता, भक्तो और सारी धरती को मुक्त किया। श्री कृष्ण की लीलाओ में दिखाया जाता है कि उन्होने मधुर बंशी सबको सुनाकर सबका मनमोह लिया यह बशी है ज्ञान की पवित्र मीठे बोल जिसे सुनकर आत्मा अतिइन्द्रीय सुख का अनुभव करती है। मोर मुकुट प्रतीक है पवित्रता का। मटकी फोडना प्रतीक है पाप व्यर्थ और अधर्म से भरी बुद्वि को समाप्त करना। कालिया नाग के सिर पर नृत्य करना प्रतीक है पांच विकार काम, क्रोध लोभ मोह अंहकार इत्यादी पांचो विकारो पर विजय प्राप्त करने का। गोप गोपियो संग रास रचाने का अर्थ सबके साथ संस्कार मिलाते हुए सहयोग करते हुए रहना। इस प्रकार श्री कृष्ण की प्रत्येक लीला हमे प्रेरणा देती है। जीवन का अर्थ बतलाता है। वर्तमान समय स्वंय निराकार परमात्मा आकर हम सबको श्री कृष्ण जैसे जीवन बनाने की प्रेरणा आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से प्रतिदिन दे रहा है। वहीं ब्रह्मकुमारीज के विश्वशांति भवन में लगी झांकियों को देखने व दर्शन पूजन करने के लिए भक्तजनो का श्रद्धा का सैलाब देखा गया।