उम्मीद से मिलती निराशा, कर्म में करें विश्वास: नवलेश

Share

चित्रकूट: श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन भागवताचार्य नवलेश दीक्षित महाराज ने श्रोताओं को जड़ भरत एवं प्रहलाद चरित्र की कथा सुनाई।
धर्मनगरी के खोही स्थित भागवत पीठ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन भागवत पीठ धर्मार्थ सेवा संस्थान से पधारे कथा व्यास नवलेश दीक्षित महाराज ने बताया कि भागवत मृत्यु को मंगलमय बनाती है। वही बच्चे सम्मान के योग्य होते हैं जिसम शालीनता होती है। वह माता, पिता और वंश के उज्जवल दीपक होते हैं। धु्रव, प्रहलाद की कथा यही शिक्षा देती है। गुरु कृपा जैसी कोई संपत्ति नहीं है। बस सद्गुरु पर समर्पित हो जाए। गुरु भक्ति योग में शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक हर प्रकार के अनुशासन का समावेश है। गुरु लीला की महिमा जो कान नहीं सुन सकते वह कान सचमुच बहरे हैं। भागवत के चतुर्थ स्कंद की कथा सुनाते हुए कहा कि मधुर वचन पुष्प के समान प्रिय होते हैं। जबकि कटु वचन कांटों के समान हृदय में चुभ जाते हैं। इसलिए जीवन में हमेशा मीठे मधुर वचन ही बोले। भागवत की कथा केवल कहानी नहीं जीवन जीने की कला हैं। बामन चरित्र की कथा तन, मन, धन के साथ स्वयं को अर्पण करने की कथा है। जड़ भरत की कथा सुनाते हुए जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव, कष्ट, सुख, दुःख का मार्मिक वर्णन किया। जिसे सुन श्रोता मंत्रमुग्ध रहे। बताया कि जड़ भरत कहते हैं कि जब तक महापुरुषों के चरणों की रज माथे में नहीं लगाएंगें तब तक जीवन में कुछ मिलने वाला नही है। जितनी अधिक उम्मीद करेंगें उतना ही निराशा मिलेगी। इसलिए इस संसार में उम्मीद ज्यादा नहीं करना चाहिए। कर्म में विश्वास करें, अपेक्षा से अधिक मिलता है।


Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *