गाजीपुर – राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, वर्ष 2024 में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आई०एम०डी०) द्वारा वर्तमान वर्ष में माह दिसम्बर 2024 से फरवरी 2025 के मध्य सामान्य से कम तापमान होने का पूर्वानुमान जारी किया गया है। तद्क्रम में एन०डी०एम०ए० द्वारा शीतलहर से बचाव हेतु शमन, तैयारी और प्रतिक्रिया के उचित उपाय किये जाने हेतु दिशा-निर्देश/एडवाइजरी निर्गत की गयी है। उक्त के सम्बंध में उ०प्र० राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा शीतलहरी एवं पाला से बचाव हेतु क्या करें, क्या न करें आदि का जनपद स्तर, तहसील स्तर, ब्लॉक स्तर, ग्राम स्तर पर सोसल मीडिया, प्रिंट मीडिया एवं इलैक्ट्रोनिक्स मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है इसके तहत प्राधिकरण की वेबसाइट लिंक ¼ https://upsdma.up.nic.in/ default.htm½ Disaster Awarness Poster’s ¼IECMaterial½ पर उपलब्ध है। जिलाधिकारी आर्यका अखौरी ने जनपदवासियों से अपील किया है कि ठंडक से बचने के लिए टोपी और मफलर का प्रयोग करें। शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार लें,पर्याप्त इम्यूनिटी बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं, नियमित रूप से गर्म तरल पदार्थ पिएं, क्योंकि गर्म पेय पदार्थ ठंडक से लड़ने के लिए शरीर को गर्मी करती है, तेल, पेट्रोलियम जेली या बॉडी क्रीम से नियमित रूप से शरीर की मालिश करें क्योंकि यह त्वचा को नमी प्रदान करते है, बुजुर्ग लोगों और बच्चों की देखभाल करें और अकेले रहने वाले पड़ोसियों का ख्याल रखें। आवश्यकता के अनुसार आवश्यक आपूर्ति स्टोर करें।उन्होने बताया कि शीतलहर के सम्पर्क में आने पर हाथ पैर की उंगलियों, कानों और नाक की नोक पर सुन्नता, सफेद या पीलापन दिखना, शीतलहर के लक्षण है जिसके प्रति सतर्क रहें। तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें। कंपकंपी को नजरअंदाज न करें। शीतलहर के प्रभाव का यह एक महत्वपूर्ण संकेत है शरीर गर्मी खो रहा हो तो जल्द से जल्द घर के अंदर गर्म स्थान पर रहने का प्रयत्न करें। फ्रॉस्टबाइट/हाइपोथर्मिया से पीड़ित कोई व्यक्ति शरीर के तापमान में कमी के कारण कपकंपी, बोलने में कठिनाई, नींद न आना, मांसपेशियों में अकहन, भारी श्वास, कमजोरी और चेतना का नुकसान हो सकता है। हाइपोथर्मिया एक आपातकालीन चिकित्सा है जिसके लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है। गर्मी उत्पन्न करने के लिये बंद कमरे के अन्दर कोवला/अंगीठी न जलायें क्योंकि इससे कार्बन मोनोऑक्साइड गैरा उत्पन्न हो सकती है जो बहुत जहरीली होती है और कमरे में मौजूद लोगों की जान जा सकती है। विभिन्न बीमारियों, बहती/भरी हुई नाक जैसे लक्षणों के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। एन०डी०एम० द्वारा जारी किया गया मोबाइल एप यथा ¼First Aid for Students and Teachers½ FAST and SACHET मोबाइल एप डाउनलोड करें।जिलाधिकारी द्वारा क्या करें के बारे में जानकारी देते हुए सूचित किया कि व्यक्ति को गर्म स्थान पर ले जाएं और उसके गीले कपड़े बदलें, व्यक्ति के शरीर को त्वचा से त्वचा के संपर्क में लाकर गर्म रखें, कंबल, कपड़े, तौलिये या चादर की परतो से सुखाये, शरीर के तापमान को बढ़ाने में मदद करने के लिए गर्म पेय दें। शराब न दें। स्थिति बिगड़ने पर चिकित्सीय सहायता लें।उन्होने क्या न करें की जानकारी देते हुए बताया कि लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से बचें,’ शराब न पीएं क्योंकि यह शरीर के तापमान को कम करती है; और रक्त वाहिकाओं को संकुचित करती है, ठंडे से प्रभावित अंग की मालिश न करें। इससे अधिक नुकसान हो सकता है, कंपकंपी को नजरअंदाज न करें। यह पहला संकेत है कि शरीर गर्मी हो रहा है-घर के अंदर शरण लें,’ प्रभावित व्यक्ति को तब तक कोई तरल पदार्थ न दें जब तक कि पूरी तरह से सचेत न हो जाए।उन्होने कृषकों को क्या करें और क्या न करें की जानकारी देते हुए बताया कि कृषक शीत लहर और पाला फसलों को नुकसान पहुंचाते है, जिसमें उनमें काला रतुआ, सफेद रतुआ पछेती-तुषार आदि रोग उत्पन्न होते हैं। शीत लहर के कारण अंकुरण, वृद्धि, पुष्पन, उपज और भंडारण अवधि में विभिन्न प्रकार के शारीरिक व्यवधान का कारण बनती है। क्या करें के बारे जानकारी देते हुए कहा कि ठंड से होने वाली बीमारी के लिए उपचारात्मक उपाय अपनायें जैसे बेहतर जड़ विकास को सक्रिय करने के लिए बोर्डाे मिश्रण या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड, फास्फोरस और पोटेशियम का छिडकाव करें। शीत लहर के दौरान जहां भी संभव हो, हल्की और बार-बार सतही सिंचाई करें। यदि संभव हो तो स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग करें। ठंड प्रतिरोधी पौधों/फसलों/फिल्मों की खेती करें। बागवानी और बगीचों में इंटरक्रॉपिंग (अन्तर फसल) खेती का उपयोग करें, टमाटर, बैगन जैसी सब्जियों की मिश्रित फसल, के साथ सरसों/अरहर जैसी लंबी फसलें ठंडी हवाओं (ठंड के खिलाफ आश्रय) के खिलाफ आवश्यक आश्रय प्रदान करेगी। सर्दियों के दौरान युवा फलदार पौधों को प्लास्टिक द्वारा ढककर अथवा पुआल या सरकंडा धात्त आदि के छप्पर (झुग्गियों) बनाकर विकिरण अवशोषण (Absorption ) को बढ़ाया जा सकता है।
उन्होने पशुपालन/पशुधन की क्या करें और क्या न करें की जानकारी देते हुए कहा कि शीत लहर के दौरान, जानवरों और पशुधन को जीविका के लिए अधिक भोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। भैंसों/मयेशियों के लिए इस मौसम के दौरान जानवरों में तापमान में अत्यधिक मिन्नता पशुओं की प्रजनन दर को प्रभावित कर सकती है, ठंडी हवाओं के सीधे संपर्क से बचने के लिए रात के दौरान सभी तरफ से जानवरों के आरास को ढक दें, पशुओं और मुर्गियों को ठंड से बचाने और गर्म कपड़े से बकने की व्यवस्था करें पशुधन आहार पद्धति और आहार पूरकों में सुधार करें। उच्च गुणवत्ता वाले चारे या घरागाहों का उपयोग। जलवायु अनुकूल शेड का निर्माण करें जो सर्दियों के दौरान अधिकतम सूर्य प्रकाश तथा गर्मियों के दौरान कम विकिरण की अनुमति देता है। सर्दियों के दौरान पशुओं के नीचे सूखा भूसा जैसी कुछ बिछावान सामग्री डालें। इन परिस्थितियों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त नस्लों (फिट नस्लों) का चयन करें। शीतलहर के दौरान पशुओं को खुले स्थानों में न बांधे घूमने न दें। शीत लहर के दौरान पशुमेले से बचें, जानवरों को ठंडा चारा और ठंडा पानी देने से बचें, पशु आश्रय में नमी और धुएं से बचें मृत पशुओं के शवों को पशुओं के नियमित चरने वाले मार्गों पर नहीं फेंका जाना चाहिए।