सम्भल। कर्बला के मैदान हजरत इमाम हुसैन ने हंक और बातिल की जंग में कुर्बानी दे कर न सिर्फ इस्लाम बल्कि इंसानियत को भी बचाया था इस लिए सारी दुनिया में शहीदे के शोक में मातम किया जाता है इमामबाडा फरमान हुसैन मौहल्ला नूरियो सराय मे मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना असगर सिरसी ने कहा कि आज सारी दुनिया में परचमे हुसैन लहराया जा रहा है मातम व नोहा पढकर शोक मनाया जा रहा है हजरत इमाम हुसैन को मुस्लिम ही नहीं बल्कि गैर मुस्लिम भी मोहर्रम मे याद करते मौलाना ने कहा की कर्बला की घटना को याद करके मानवता ने इतने ऑसू बहाये है इतने किसी भी घटना को याद करके न बहाये होगे मौलाना ने कहा कि कर्बला ने सारी दुनिया को. जुल्म के आगे सर न झुकाने का पैगाम दिया है हजरत इमाम हुसैन ने कहा था कि जिल्लत की जिंदगी से इज्जत की मौत बेहतर है ! बाद मजलिस के शबीहे ताबूत बरामद किये गये जिनकी जियारत करने के लिए अजॉदार उमड पडे औरत और बच्चो ने भी जियारत की इस गमगीन माहौल में नौजवान अजॉदारो ने मातम किया और नोहेख्वानी की रहबर हुसैन सलीम मेहदी शमाईम रजा ने मरसिया पेश किया अरशद हसन शहा आलम अमान अली अब्बास ने नोहाख्वानी की इस अवसर पर साजिद गुफरान रिजवान मोहसिन रजा नैय्यर अब्बास पैकर सम्भली अली सादिक अली जहीर शाने अब्बास आदि शामिल रहे।