बांदा।कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित जन शिक्षण संस्थान, बांदा मे प्रशिक्षण स्थल इंदिरा नगर बाँदा में आजादी का अमृत महोत्सव के अर्न्तगत अंतराष्ट्रीय श्रमिक दिवस कार्यक्रम का अयोजन किया गया तथा प्रशिक्षणर्थियांे को स्किल प्रमाणपत्र का वितरण भी किया गया।
कार्यक्रम के शुभारम्भ में संस्थान के निदेशक मो0 सलीम अख्तर जी ने बताया कि 01 मई श्रम दिवस मनाने की शुरूआत संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई। मालूम हो कि सन् 1886 में 01 मई को विशेष रूप से दिन में आठ घंटे के कार्य करने की मांग को लेकर राष्ट्रव्यापी हडताल हुई। परन्तु भारत में मई दिवस सबसे पहले चेन्नई में सन् 1923 को मनाना शुरू किया गया। इस संदर्भ में प्स्व् ;प्दजमतदंजपवदंस स्ंइवनत व्तहंदप्रंजपवदद्ध की स्थापना की गयी थी। प्स्व् की भूमिका का वर्णन किया गया संस्थान के कार्यक्रम अधिकारी श्री सौम्य खरे ने बताया कि औद्योगीकरण के युग के दौरान अमेरिका के उद्योगपतियों ने मजदूरों को दिन में 15 घंटे काम करने के लिए शोषण किया। यह 01 मई 1886 का ही दिन था मजदूर वर्ग एक साथ आए और इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह किया। इसमें उन्होने अपनी मजदूरी के लिए अधिक धन और अवकाश की मांग की। साथ ही बताया कि कार्यालयो मे काम करने वाले, खेतो मे काम करने, कारखानो एवं फैक्ट्री में काम करने वाले सभी लोग मजदूर ही है हमें मजदूरो से सम्बंधित नियम एवं कानून तथा अधिकार मालूम होने चाहिये। जन शिक्षण संस्थान की शुरूआत श्रामिक विद्यापीठ की योजना से 1967 से शुरू हुई थी। सहा0 कार्यक्रम अधिकारी श्री मयंक सिंह ने बताया कि दुनियाभर में मई माह में मजदूर दिवस मनाया जाता है। श्रमिकों के लिए एक दिन समर्पित करने का बड़ा कारण है। मजदूर दिवस मनाने का महत्व विभिन्न देशों में अलग.अलग हो सकता है लेकिन यह एक संदेश देता है कि मजदूरों का योगदान समाज में महत्वपूर्ण है और उन्हें सम्मान व न्याय मिलना चाहिए। कार्यक्रम में संस्थान के क्षेत्र सहायिका शिवांगी द्विवेदी, ने भी अपने विचार रखे। उक्त कार्यक्रम में संस्थान के कार्यक्रम अधिकारी संजय कुमार पाण्डेय, लेखाकार लक्ष्मीकान्त दीक्षित,, तथा अनुदेशिका शालिनी द्विवेदी तथा लगभग 50 प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहें।