लब्बैक या रसूलअल्लाह, लब्बैक, लब्बैक, लब्बैक या रसूलअल्लाह

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भदोही। नगर के मोहल्ला जमुंद स्थित समाजसेवी हाजी मुमताज़ अहमद राइन के साहबजादे मो. शाहिद व बहु तथा पोते  भदोही स्टेशन पहुंचकर इंटर सिटी से लखनऊ के लिए रवाना हो गए जहां वे दूसरे दिन मदिनतुर्रसुल पहुंचने का शरफ़ हासिल करेंगे।
इस अवसर पर मेहमाने रसूल अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम व मेहमाने परवरदिगार हाजी मुमताज़ अहमद राइन के साहबजादे मो.शाहिद उनकी शरीके हयात से मुलाकात करने उनके जमुंद मोहल्ले स्थित आवास पर अलसुबह से ही आते रहे। मुलाकात करने वाले लोगों ने सफ़रे उमरा पर जाने वालों को फूलों का हार और गुलदस्ता देकर गले मिले। उमरा के दौरान दुआ करने की दरख्वास्त की‌ गई। जहां पर उनको पुरनम आंखों से दयारे हबीब स. के लिए रुखसत किया गया। इस दौरान उनके सफर को आसान करने के लिए दुआ मांगी गई। हाजी मुमताज़ अहमद राइन के साहबज़ादे व बहु तथा पोते को विदा करते समय “सुनहरी जाली मुबारक हो’ गुम्बदे खजरा मुबारक हो आदि नारे बुलंद की गई। इस मौके पर हाजी मुमताज़ अहमद राइन ने कहा की हज वर्ष में एक बार होता है। लेकिन उमरा के लिए वर्ष में कभी भी जाया जा सकता है। हज में जहां 45 दिन लगते हैं तो वहीं उमरा कर जायरीन 14 दिन में या उससे कम दिन में ही वापस स्वदेश लौट आते हैं। वहीं मो.शाहिद व उनकी शरीके हयात  अपने घर परिवार तथा रिश्तेदारों से मिल कर दुवा की दरख्वास्त की और कहा हम उमरा के लिए रवाना हो रहे है दुवा करें अल्लाह पाक उमरा के हर अरकान पूरा करने की तौफीक अता फरमाए वहीं उन्होंने अपने मुल्क में अमन शांति के लिए दयारे मुस्तफा व अल्लाह के दरबार मे पहुंच कर दुआ करने की बात कही। इस मौके पर मौलाना ज़ाकिर हुसैन, हाफिज इरफान चिश्ती, हैदर राइन, नसीम राईन, नईम राइन, राजू राईन, शमीम राईन, अफजल अंसारी, फैसल अंसारी, अरशद अंसारी, बाबू राईन, पप्पू राइन,  आजम खां, रइस अहमद राइन, सोनू राइन, मुर्तुजा खां, मुस्तफ़ा खां कल्लू आदि मौजूद रहे।

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