भदोही। मोहल्लाह गोरियाना मोमिनपुर स्थित ताजिया चौक के पास बीती रात हजरत भोला शाह रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स बड़े ही अक़ीदतो एहतराम के साथ मनाया गया। उर्स के मौके पर महफिले मिलादे पाक मुनक़्क़ीद किया गया। जल्से का आगाज़ अल्लाह की मुक़द्दस किताब क़ुरआने हकिम की तिलावत से हाफ़िज़ व कारी आबिद हुसैन ने किया। उसके बाद मद्दाहे खैरुल अनाम सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम शायर फ़ैयाज़ भदोहवी ने नाते नबी पढ़ा। उसपे अल्लाह ने मेरे बारिशें रहमत की है। दिल से जिस सख्स ने आक़ा से मोहब्बत की है। पढ़ा तो सामेइन मचल गए। वहीं शायर जावेद आसिम ने पढ़ा मेरा दाता है गरीबो को खिलाने वाला। बेसहारो को कलेजे से लगाने वाला पढ़ा तो नारे तकबीर की सदायें बलन्द होने लगी। वहीँ बुलबुले बाग़े मदीना शायर नेहाल हबीबी ने आक़ा अलैहिस्सलाम की बेपनाह मोहब्बत अपने उम्मतियो के लिए अपने अशआर के साँचे मे ढाले हुए कुछ इस तरह पढ़ा की। गुनाहगारो की ख़ुशी मे एक ख़ुशी के लिए। हुजूर रोते थे रात उम्मती के लिए। पढ़ा तो नबी की मोहब्बत मे लोगो की आँख नम हो गई। इसी तरह शहंशाहे नेकाबत हाजी आजाद खां ने आक़ा की मोहब्बत को अपने अशआर के ज़रिए सामेइन तक पहुंचा रहे थे कि दिल शाहे मदीना से लगा क्यों नही लेते। तुम अपने मुकद्दर को बना क्यों नही लेते पढा तो लोग मचल गए। वहीं शायर सैयारे कमर ने भी नाते शहे अबरार सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम गुनगुना कर सामेइन के दिलो को मुअत्तर कर रहे थे। मेम्बरे नुर पे जलवागर हज़रत अल्लामा व मौलाना मुस्तकीम ने इस्लाही तक़रीर करते हुए कहा की नबी और आले नबी की सिरते तैयबा को अपनी ज़िन्दगी में ढालो तो ज़िन्दगी संवरती हुई नज़र आएगी। कहा नबी से मोहब्बत करने का मतलब नबी की उम्मत से मोहब्बत करना,अगर तुम्हारे दिल में मोहब्बत नहीं है तो तुम मोमिन हो ही नहीं सकते। कहा नबी के दामन से जब कौम अलग हो जायेगी तो क़ौम की बर्बादी शुरू हो जायेगी आज पूरी दुनिया में मुसलमानो की हालत बद से बदतर होती चली जा रही है इसकी वजह हमने मुस्तफा जाने रहमत स. के बताये हुए रास्ते को छोड़ दिया है हमने यहूदो नसारा के नक़्शे क़दम पे चलना सिख लिया है हमने अपने घर के माहौल को इस्लामी माहौल से दूर कर दिया है हमने तरिक़-ए-मुस्तफा को छोड़ कर दुनिया की रंगीनियों में गुज़ारना शुरू कर दिया है।आओ बारगाहे शमसुद्दोहा बदरूद्दोजा नुरुल्होदा नबीईल हरमैन सैयदना काब-क़ौसैन सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम में सरकारे मदीना हमें जीने का सलीक़ा सीखा रहे है हमें इस्लामी साँचे में ढलने की नसीहत दे रहे है। मौलाना ने कहा आक़ा अलैहिस्सलाम की लाडली बेटी तैयबा ताहेरा खातूने जन्नत की ज़िन्दगी को देखो जो मालिके कौनैन की बेटी है जिनके सदके में ज़माना पल रहा। खातूने जन्नत के चादरे मुबारक में पेवंद लगे है घर में कई-कई दिन तक फ़ाक़ा हो रहा है लेकिन जुबां पर शुक्रे इलाही रहा। कहा मुस्तफा जाने रहमत स.ने अपने पेट पर पत्थर को बाँध कर उम्मत को बता दिया की जब तुम्हें भूख लगे तो तुम मुझे याद कर लेना जब तुम्हें प्यास लगे तो मैदाने करबो बला में मेरे लाडले प्यारे हुसैन को याद कर लेना तुम सब्र के दामन को पकड़े रहना और हर हाल में परवरदिगार का शुक्र अदा करते रहना। कहा अपने ज़िन्दगी को इस तरह गुज़ारो जिस तरह सहाबा ने अपनी ज़िन्दगी गुज़ारी है अगर मुस्तफा जाने रहमत स.से मोहब्बत करनी है तो हज़रते अबू बकर सिद्दीक़ के जैसा करो उस्माने गनी के जैसा सखी बन जाओ फारुके आज़म के जैसा अद्ल करने वाला बन जाओ दामादे मुस्तफा हैदरे कर्रार के जैसा शुजाअत और रहम दिल बन जाओ दुनिया तुम्हारे क़दमो में झुकती हुई नज़र आयेगी। कहा अपने घर को इस्लामी माहौल में ढालो अपने बच्चियो को इस्लामी तालीम से शरफराज़ करो और तरिक़-ए-मुस्तफा को अपनाते हुए ज़िन्दगी गुज़ारो दुनिया में भी कामियाब रहोगे और आख़ेरत में भी कामियाब रहोगे। जल्से की नेजामत शहंशाहे नेकाबत हाफिजो कारी आबिद हुसैन ने किया। अराकिने जल्सा मेहंदी हसन गुल्लू, नूर आलम मुन्नू, साबिर अली, अशरफ अली, इलियास, इदरीस, रियाज़ उर्फ बब्लू खां व जुमला अहबाब ने आए हुए सामेइन का खैर मकदम किया।