मनाई गई जश्ने मौलूद-ए- हजरते अली करमुल्लाह वजहुल करीम

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भदोही। नगर के स्टेशन रोड स्थित बेलाल मुसाफिर खाना स्थित बड़ी ईदगाह के पास बीती रात जश्ने वेलादते मौला-ए-कायनात दामादे रसूले कायनात मोहम्मदे अरबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम शेरे खुदा, मौलूदे काबा हजरते अली करमुल्लाह वजहुल करीम बड़े अक़ीदतो एहतेराम के साथ मनाया गया। कांफ्रेंस का आगाज इमामे मस्जिद अबरार अहमद ने तिलावते कुरआन पाक से की। वहीं शायरों ने हजरते अली की शान में मनकबत पेश किया तो लोगो के दिलो को मोहब्बते अली का समंदर उमड़ पड़ा। मेम्बरे नूर पर जलवा अफरोज मुंबई से चल कर आए खतीबे अहले बैत हजरत मौलाना शैख़ साजिद अशरफी ने मौला-ए-कायनात हजरते अली करमुलल्लाह वजहुल करीम की फजीलत और जिंदगी पर रौशनी डालते हुए कहा कि हजरते अली की पैदाइश खान-ए-काबा के अंदर 13 रजब को हुई इस लिए आपको मौलूद-ए-काबा की लक़ब से दुनिया जानती है। मौलाना ने कहा हजरते अली ने पैदाइश के बाद तीन दिन तक अपनी आंखें नही खोली थी, तीसरे दिन जब पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम खान-ए-काबा में दाखिल हुए और हजरते अली को अपनी गोद मे लिया तब शेरे खुदा ने अपनी आखें खोलकर इमामुल अम्बिया सरवरे कायनात मोहम्मदे अरबी के चेहरे-ए- अक़दस की जियारत की। कहा नमाज की पाबंदी करें जैसा कि शेर खुदा ने नमाज अदा कर दुनिया वालो को दर्स दिया। अपने माँ बाप की इज्जत करो, ऐ मेरी माँ बहनों अपने बच्चों को इस्लामी तालीम के सांचे में ढालो दुनिया मे भी कामियाब रहोगे और आख़ेरत में भी कामियाब रहोगे। जल्से के बाद हजरत अली की शान में कव्वालों ने मनकबत पेश कर लोगो को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस मौके पर इंतेजामिया कमेटी के मो.अनीस, रेहान अली, अरहान अली, सैफ अली, आरिफ अली, समीर अब्बास, सकलैन अली, लारैब अली आदि लोगों ने आए हुए सामेइन की खिदमत में लगे रहे।

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