चित्रकूट: लोकतंत्र के महापर्व को मानते हुए मतदाताओं को जागरूक करने के उद्देश्य से हिंदी को प्राथमिकता देते हुए राष्ट्रभाषा बनाने तथा जल, जंगल, जमीन के साथ माता मंदाकिनी की निर्मलता, अविरलता सफाई के लिए भगीरथ प्रयास करने की जागरूकता के लिए एक काव्य गोष्ठी संपन्न हुई। जिसमें कवियों ने रचानाओं के माध्यम से विचार व्यक्त किए।
शिवदत्त त्रिपाठी ने कहा कि वोट हमारा अधिकार है। इसको बेकार न करें। साथ ही कचरा, गुटखा व शैंपू से गंदा करने वाले से मंदाकिनी की रक्षा के लिए सावधान किया। तुलसी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष रामलाल द्विवेदी प्राणेश ने कहा कि लोकतंत्र निज बडा विश्व में, सब देशों में शान, चलो मनाएं महापर्व को, बढ चढ कर मतदान। साथ ही मंदाकिनी सफाई के लिए कहा कि देखो, कैसी हालत कर दी, मंदाकिनी के मान की। डॉ मनोज द्विवेदी ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और नदियों में विकृति आने पर मानव सुरक्षित नहीं रह सकता। नारायण तिवारी ने कहा कि शबरी बनू तो मीठे-मीठे बेर राजा राम को खिलाऊं मैं। रामकिशोर साहू ने कहा कि पैर में छाले पडे तो क्या हुआ, सत्यपथ पर तो चलता रहा। जे पी कुशवाहा, डा विनोद शंकर सिंह ने नीति और यथार्थ को उतारने पर जोर दिया। शेयर अख्तर फराज और राम प्यारे विश्वकर्मा, विक्रम नामदेव की गजलें काफी पसंद की गई। अभिमन्यु सिंह ने सबका आभार प्रदर्शन किया।