जो राम को लाये हैं, उनको लाएंगे या भगत के वश में हैं भगवान,
परसपुर,गोंडा। कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र में नाई किराना के दुकान से लेकर चाय होटल पान की दुकान, चौक चौपाल व वट वृक्षों की छाँव में चारों तरफ चुनावी चर्चा जोरों पर है। इस बार जो राम को लाये हैं, उनको लाएंगे या फिर भगत के वश में हैं भगवान की चर्चा जोरों पर है। एक तरफ कैसरगंज व गोण्डा से कई बार सांसद रहे बृज भूषण शरण सिंह के बेटे युवा चेहरा करण भूषण सिंह भाजपा से तो दूसरी तरफ गठबंधन सपा से भगत राम मिश्रा जनमानस को रिझाने में जुटे हैं। सभी प्रत्याशी तरह तरह विकास के दावे कर अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रहे हैं। ऐसा पहली बार वर्ष 2024 में देखने को मिला है, जब नामांकन की अंतिम तिथि के एक दिन पहले दो बड़े राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित किया। इसी चर्चाओं के बीच दर्जन भर नामांकन में आठ पर्चे खारिज होने के बाद चार उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। बताया जा रहा है कि कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र गठन के 47 साल बाद ऐसा पहली बार है, जब महज चार प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में हैं। वर्ष 1996 से सबसे अधिक 28 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया। सपा के बेनी प्रसाद वर्मा पहली बार 28 लोगों को हराकर चुनाव जीता था। बताया जा रहा है कि वर्ष 1977 में गोण्डा पश्चिमी हिस्से के संसदीय क्षेत्र का नाम बदलकर कैसरगंज हुआ। प्रदेश के बहुचर्चित क्षेत्रों में शामिल होने के चलते कैसरगंज सीट पर दावेदारों की भीड़ रहती थी।