दुल्लहपुर-गाजीपुर, उत्तर प्रदेश राज्य के शासन द्वारा स्वच्छता की अलख जगाने के साथ ही ग्रामीण स्तर से लेकर शहरी स्तर तक लोगों को जागरूक करने तक के लिए सफाई कर्मचारी और अलग-अलग टीम के सदस्य तैनात कराए गए हैं वर्तमान में जागरूकता के साथ ही कर्मचारियों द्वारा कचरो के अंबार को देखते हुए कचरा प्रबंधन की भी व्यवस्था युद्ध स्तर पर की गई है,गाँव-गाँव में कूड़ा घर बनाया गया है, कचरों के ठोस निपटारे के लिए वाहन खरीदे गए हैं,कचरा उठाने के साथ -साथ ड्राइवर भी तैनात किये जा रहे हैं, जो कहीं पूर्ण तो कहीं अपूर्ण की कार्यवाही भी दर्शा रही है लेकिन कागज में कितना है और धरातल पर कितना सही है यह हर किसी को पता है क्योंकि शहर का कोई कोना या खाली प्लाट बाकी नहीं है जहां कचरों का अंबार न लगा हो कागज की बात की जाए तो किसी-किसी ग्राम सभा में 10 हजार से लेकर 10 लाख तक की धनराशि भी स्वच्छता के नाम पर खर्च कर दी गई है लेकिन स्वच्छता की क्या स्थिति है कचरों का कहाँ तक निपटारा हो पाया है यह शासन से लेकर आम आदमी तक को पता है फिर भी इसका असली जिम्मेदार कौन है यह हर किसी के समझ से बाहर है ऐसा ही कुछ मामला दुल्लाहपुर बाजार में देखा जा सकता है जहां सुबह होते ही दुकानदार अपने-अपने घर या दुकान से निकलने वाले कचरो के अंबर को या तो आस-पास के खाली प्लाट में फेंक देते हैं या फिर अपने दुकान के सामने ही जला देते हैं फिर वह राख सारे दिन भर सड़क पर धूल मिट्टी के साथ उड़ती रहती है कहीं-कही यह भी आलम है कि कुछ नशेड़ी और भुखमरी के शिकार पागल व्यक्ति मजबूरी की हालत में या फिर नशे की लत में या फिर पेट की भूख कहीं जाए तो शायद कम होगी ₹10 के लालच में उन कचरो को उठाते हैं और पास के ही किसी खाली प्लाट में फेंक देते हैं और दुकानदार से 2 ₹ 5 ₹ या 10रुपये मिल जाता है जिससे उनका पेट भरता है जिसकी सम्मानित जनों ने जानकारी देते हुए बताया कि इन सारे बिंदुओं पर यदि शासन ध्यान देती तो दुल्लाहपुर की यह स्थिति बत से बत्तर नहीं होती जो स्थिति स्वच्छता को लेकर होती है क्योंकि खास करके जो प्राइमरी विद्यालय के ठीक सामने कचरों का अंबार लगा हुआ है जहां मासूम गरीब तबके के बच्चों की पढ़ाई से लेकर आम आदमी का दिन भर का जीवन यापन करना, काम करना, रास्ते से होकर गुजरना लगा रहता है बदबूदार और भयानक विमारियों के होने वाले खतरे के आलम में जीने को मजबूर करता है कुछ लोगों का यह भी कहना है कि हमने आज तक गांव में किसी भी सफाई कर्मचारी को झाड़ू लगाते या स्वच्छता के प्रति जागरुक करते हुए नहीं देखा, कुछ लोगों नें कहा कि हमें तो पता ही नहीं है कि दुल्लाहपुर में सफाई कर्मचारी भी तैनात है क्यों तैनात होते तो यह स्थिति नहीं होती,ऐसे में किसे जिम्मेदार माना जाए यह बात हर किसी को सोचने पर मजबूर करता है रही बात शासन की तो इसके पीछे की क्या खास वजह हो सकती है यह हर किसी को पता है वही इस सम्बन्ध में खंड विकास अधिकारी जखनिया से बात हुई तो उन्होंने कहा कि जल्द इस सम्बंध में संबंधित को निर्देश दिया जायेगा ताकि स्वच्छता की स्थिति में सुधार हो ।