मेडिकल कॉलेज में ऑर्थो विभाग पर गंभीर आरोप: डॉक्टरों की लापरवाही और कॉलेज प्रशासन की अनदेखी

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गाजीपुर। मेडिकल कॉलेज गाजीपुर इन दिनों सुर्खियों में है, यहां के ऑर्थो विभाग के डॉक्टर ने कॉलेज प्रशासन, विशेष रूप से प्रिंसिपल के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब डॉक्टर वैभव सिंह की विवादास्पद गतिविधियों ने न केवल कॉलेज की प्रतिष्ठा को आघात पहुँचाया, बल्कि मरीजों और अन्य कर्मचारियों में असंतोष भी पैदा कर दिया।
गाजीपुर मेडिकल कॉलेज में ऑर्थो विभाग के डॉक्टरों द्वारा की गई कार्यशैली पर सवाल उठाए रहे हैं? रिपोर्ट्स के अनुसार यह डॉक्टर, न केवल अपने कर्तव्यों की उपेक्षा किया, बल्कि मरीजों के इलाज में भी लापरवाही बरती। हालात इतने बिगड़ गए कि कई बार गंभीर मरीजों की स्थिति को नजरअंदाज किया गया, जिससे उनके तबियत को नुकसान हुआ। ऐसा लगता है कि डॉक्टर वैभव सिंह ने न केवल अपने कर्तव्यों को नजरअंदाज किया, बल्कि कॉलेज प्रशासन के खिलाफ खुले तौर पर बगावत की भावना भी व्यक्त की, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें डॉक्टर वैभव सिंह ने मरीज के परिजनों से कहा कि मैं अपने कुत्ते का भी इलाज इस अस्पताल में नहीं कर सकता…और …. और तुम्हारी बकैती एक सेकंड में उतार दूंगा।
वह रे योगी सरकार के डॉक्टर, योगी सरकार की सरकारी योजनाओं का तो ध्यान रखना चाहिए।
 बताया गया कि एक पन्द्रह वर्षीय बालिका के पैर में चोट आने के बाद उसे इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज गाजीपुर परिजनों द्वारा लाया गया और इलाज चल रहा था परंतु मंगलवार को पुनः दर्द होने पर हॉस्पिटल लाया गया, जिस पर ऑर्थो विभाग के डॉक्टर वैभव सिंह ने इलाज के समय परिजनों एवं कॉलेज के प्रिंसिपल पर गम्भीर आरोप लगाया। सूत्र बताते हैं कि कॉलेज के प्रिंसिपल को इन घटनाओं का सही तरीके से संज्ञान लेने में विफलता का सामना करना पड़ रहा है। मरीज एवं उनके परिजनों का आरोप है कि प्रिंसिपल ने इन गंभीर मुद्दों पर उचित कार्रवाई करने की बजाय, या तो उन्हें अनदेखा किया या फिर उन्हें हल्के में लिया। इससे न केवल अस्पताल में काम कर रहे अन्य चिकित्सकों में असंतोष बढ़ा, बल्कि कॉलेज की प्रतिष्ठा को भी धक्का लगा है।
एक और गंभीर आरोप जो सामने आया है, वह है डॉक्टरों द्वारा वित्तीय लाभ की लालसा में मरीजों को गलत तरीके से इलाज करना। यह आरोप भी जांच के दायरे में है, और इसे लेकर कई मरीज, परिजन और अन्य कर्मचारी चिंतित हैं। कुछ लोगों के आरोपों के अनुसार, डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बाहर से उच्च मूल्य वाली दवाइयां और टेस्ट करने का दबाव डाला जाता है, जिससे उनके इलाज का खर्च अनावश्यक बढ़ जाता है।
इस तरह के घटनाक्रम ने गाजीपुर मेडिकल कॉलेज की छवि को गंभीर नुकसान पहुँचाया है, और स्थिति बहुत ही नाजुक हो गई बताया जा रहा है।
गाजीपुर मेडिकल कॉलेज में अन्य डाक्टरों और कर्मचारियों का मनोबल गिरा है। वे यह महसूस कर रहे हैं कि जब तक ऐसे डॉक्टरों और सम्बन्धित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक संस्थान की स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा।
यह मुद्दा सिर्फ गाजीपुर मेडिकल कॉलेज तक सीमित नहीं रह सकता। अगर यहां से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह मामला समाजसेवी राजकुमार मौर्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार में उठाएंगे, उच्च प्रशासन को मेडिकल कॉलेज गाजीपुर की स्थिति पर तुरंत ध्यान देना चाहिए और इस मुद्दे का जल्द समाधान निकालना चाहिए।

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