ललितपुर ग्राम बस्तगुवां में चल रही रामलीला के चौथे दिन धनुष यज्ञ, रावण – वाणासुर एवं परशुराम – लक्षण संवाद की लीला का मंचन हुआ, श्रीराम ने धनुष तोड़ा और सीता जी ने जयमाला पहनायी।
ग्राम बस्तगुवां के श्री रामजानकी मंदिर प्रांगण में नूतन नवयुवक रामलीला मंडल द्वारा रामलीला समिति के पूर्व अध्यक्ष यादवेंद्र सिंह बुन्देला की स्मृति में रामलीला का मंचन किया जा रहा है। चौथे दिन धनुष यज्ञ की लीला में विभिन्न देशों के राजाओं ने अपना अपना अभियन करके दर्शकों को खूब मनोरंजन किया। रावण बाणासुर भी धनुष यज्ञ में आते हैं और धनुष को लेकर दोनों बहुत संवाद होता है। जब कोई राजा धनुष को तोड़ना उठाना तो दूर रहा तिल भर हिला नहीं पाता तब राजा जनक बहुत दुखी होते हैं और पृथ्वी को वीरों से खाली बताते हैं इस पर लक्ष्मण क्रोधित हो उठते है लेकिन राम के समझाने पर लक्ष्मण जी शांत हो जाते हैं। गुरु की आज्ञा पाकर श्री राम धनुष तोड़ देते हैं और राजा जनक की प्रतिज्ञा के अनुसार सीता जी श्री राम को जयमाला पहना देती हैं।भगवान शंकर के पिंनाक धनुष टूटने की खबर पाकर परशुराम जी आते हैं और क्रोधित होकर धनुष तोड़ने वाले को दंडित करने को कहते हैं इससे लक्ष्मण और परशुराम के बीच गहरा संवाद होता है, श्रीराम जी अपने सरल स्वभाव से परशुराम जी को समझाते हैं, परशुराम जी जान जाते हैं कि श्री राम भगवान विष्णु का अवतार है इसलिए अपना सारंग धनुष श्री राम जी को सौंप कर स्वयु भजन करने महेंद्र पर्वत चले जाते हैं। चौथे दिन की लीला की आरती अध्यक्ष श्री रामकिशोर बबेले, अजय प्रताप सिंह, गौरव राजा, दयाशंकर तिवारी, रमाकांत गोस्वामी,रवि बबेले, नीरज गंगेले, गोपाल दुबे, डब्लू बबेले ने की। लीला में जगदीश पाठक, भानसिंह बुन्देला, जय सिंह बुन्देला,,राजपाल सिंह यादव, भाई जी राजा, सोन सिंह यादव, सोने जू बुन्देला ने अभिनय किया। लीला के व्यास रामेश्वर पटैरिया रहे और संचालन देवनारायण दुबे ने किया।