समाज सेवा का ऐसा जज्बा…रात में भी किसी जरूरतमंद का फोन आ जाए तो नींद से जागकर पहुंचते हैं तहरीम सिद्दीक़ी

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अपने पूर्वजों से गरीब, असहाय लोगों की सहायता करना सीखा हू । राजनीति में आने का कोई मकसद नहीं है तहरीम सिद्दीक़ी.कांधला समाज सेवा करने की कोई उम्र नहीं होती। अगर इंसान के अंदर समाजसेवा कर जज्बा हो तो वह किसी भी उम्र में समाज सेवा कर सकता है।अपना लक्ष्य बना कर जरूरतमंद लोगों की मदद करना एक मिशन के रूप में जब कार्य किया जाता है तो उसे सफलता की ओर निरंतर आगे बढ़ता है। ऐसा मानना है हम बात कर रहे है कस्बे के मोहल्ला मौलानान निवासी समाजसेवी तहरीम सिद्दीक़ी की दूसरों की पीड़ा देखकर उनकी मदद करना किसी जरूरतमंद का आधी रात मे भी फोन आ जाए तो नींद से जागकर पहुंचना और निरंतर उनके बीच में जाकर समस्याओं को सुनना इनका का मकसद बन गया है। समाजसेवी तहरीम सिद्दीक़ी का कहना है कि समाज के लिए कुछ अच्छा करने का जज्बा हर किसी में होना चाहिए। जो लोग समाज सेवा करते हैं वह सदैव प्रसन्न रहते हैं। उनका नाम होता है। समाज सेवा का दूसरा बड़ा लाभ यह है कि इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। जीवन में पैसा रुपया कुछ साथ नहीं जाता बल्कि व्यक्ति द्वारा किये गये नेक कार्य ही साथ जाते हैं। दुनियां में नहीं रहने के बाद भी लोग उनको याद करते हैं। हमेशा याद रखो कि समाज में जो लोग परेशान हैं उनकी मदद करो तो आत्मिक सुख का अनुभव होगा। एक मशहूर गीत ‘अपने लिए जिए तो क्या जिए, तू जी ए दिल जमाने के लिए’ यह गीत युवा समाजसेवी तहरीम सिद्दीक़ी पर फिट बैठता है। वह गरीब बच्चों को कापी, कलम और पेंसिल तक देते हैं। इतना ही नहीं पिछले लंबे समय से जरूरतमंद लोगों की मदद कर मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं। समाजसेवी तहरीम सिद्दीक़ी से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया की में पिछले 5 सालों से जन सेवा कर रहा हू। अपने पूर्वजों से गरीब, असहाय लोगों की सहायता करना सीखा हू ।

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