लीलाओं का श्रवण कर जो लीन एवं तल्लीन हो जाए उसी का नाम है श्रीकृष्ण लीला – दीक्षित

Share

चित्रकूट: ईश्वर केवल भाव के वश में हैं। वह भक्तों का भाव प्रेम ही देखकर द्रवित हो जाते हैं। परमात्मा निराकार, निर्गुण होकर भी भक्तों के लिए सगुण साकार रूप में अनेकों स्वरूप धारण कर धर्म की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।
धर्मनगरी के खोही स्थित भागवत पीठ में चल रही श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन आचार्य नवलेश दीक्षित ने बताया कि भक्त अगर दो हाथों से बुलाता है तो प्रभु चतुर्भुज रूप में आते हैं। चार वेद, वर्ण, आश्रम, सम्प्रदाय एवं विप्र, धेनु, सुर, संतो के लिए ही भगवान चतुर्भुज रूप में आकर कहते हैं, हे जीव चिंता न करो मै तुम्हारी इन चारो हाथों से रक्षा करूंगा। जो कार्य ईश्वर का अनेक रूपों में संभव नहीं होता वह कार्य एवं अनेक वरदानों को पूर्ण करने के लिए द्वापर के अंत में लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण आकर उन वरदानों को पूर्ण कर वह यशोदा नंदन सब कुछ करने में समर्थ, लेकिन उस कार्य का यश स्वयंमेव श्रीकृष्ण अपने ग्वालो, राधा एवं ब्रजवासियों को प्रदान करते हैं। यही तो उस परमात्मा की विचित्र लीलाएं हैं। श्रीकृष्ण लीलाओं का श्रवण कर जो लीन एवं तल्लीन हो जाए, अपने सहज स्वरूप को प्राप्त हो जाए उसी का नाम श्रीकृष्ण लीला है। ईश्वर की संपूर्ण लीलाएं जो तन्मयता से प्रदान करती है। ब्रह्म सुख आनंद जो स्थापित करे वहीं प्रभु कथा है। उन्होंने श्रीराम जन्मोत्सव का दर्शन कराते हुए बताया कि जब जीवन में मर्यादा आएगी तभी श्रीकृष्ण कथा को श्रवण कर ईश्वर के नाम, रूप, लीला, धाम का सहज आनंद प्राप्त कर सकते हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। बधाईयों की धूम में संपूर्ण पांडाल श्रीकृष्णमय हो गया। नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की गीत पर श्रोता झूम उठे।


Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *