कैकई जैसी मां ही नहीं हुई है और कैकई निंदनीय नहीं वंदनीय हैं- पूज्य अजीत जी महाराज

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कमलेश यादव
गाजीपुर मरदह। क्षेत्र के बोगना गांव में श्री राम कथा के छठवें दिन के मुख्य यजमान कृष्ण मोहन उर्फ़ रिंकू पांडेय और उनकी धर्मपत्नी सोनी पांडेय ने दीप प्रज्ज्वलित करके कथा का आयोजन किए। बोगना में चल रही संगीतमई श्री राम कथा के छठवें दिन श्रीराम कथा में चरणामृत की महिमा और भगवान श्रीराम के वनवास की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि श्रीराम सबसे ज्यादा प्रेम कैकई मां से करते थे। श्रीरामचरित मानस में माताओं में सबसे ज्यादा समर्पण कैकई ने किया है। बाल काल में ही श्रीराम ने कैकई से दो वचन मांगे थे, जिसमें पिता दशरथ से दो भरत को गद्दी और स्वयं को वनवास मांगने के लिए कहा था। श्रीराम ने कहा था कि वनवास नहीं हुआ तो अवतार का कारण पूर्ण नहीं होगा, उन्हें वन में जाकर संतों का दर्शन करना है और रावण का वद्ध करना है। श्रीराम की प्रसन्नता के लिए ही वह राजा दशरथ से दो वर मांगती हैं। कैकई जैसी मां ही नहीं हुई, कैकई निंदनीय नहीं, श्रीरामचरित मानस की कैकई वंदनीय है। क्योंकि कैकई ही है। जिसने श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनाया और वन में भेजकर रावण का वध कर ऋषि मुनियों को बचाया। उन्होंने कहा कि जब भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारी चल रही थी, तभी कैकई कोप भवन में चली गईं और राजा दशरथ के पूछने पर दो वर मांगे, जिसमें भरत को राज और श्रीराम को 14 वर्ष वनवास मांगा। 14 वर्ष का वनवास इसलिए मांगा था, क्योंकि रावण की आयु 14 वर्ष शेष थी। जब श्रीराम अयोध्या छोडक़र जा रहे थे, पूरा नगर उनके साथ जाने को तैयार हो गया था। केवट प्रसंग भी सुनाया।और कथा के अंत में कथा वाचक ने बताया कि *बहुत ही धार्मिक नगरी है गाजीपुर*

कथा सुनाते हुए कथा वाचक ने कहा कि गाजीपुर बहुत ही धार्मिक,साधु—संतो और वीरों की नगरी है।

इस मौके पर कथा में  मुख्य रूप से मौजूद पूर्व प्रधान शेषनाथ गुप्ता ,आशीष कुमार,सतीश गुप्ता, डा  राजेश शर्मा,मनीष सिंह,मोहम्मद एकलाख,रामजन्म चौहान,बृजभान सिंह, सूर्यविजय चौहान,विराट सिंह,अंगद,विक्रांता चौहान कल्लू, टोनू,सहित अन्य लोग भी शामिल रहे। श्री राम कथा में आए सभी आगंतुकों को प्रवीण कुमार पांडेय ने आभार व्यक्त किए।


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