भदोही। सात समुंदर पार जर्मनी फ्रैंक फर्ट सिटी में आयोजित 4 दिवसीय हेमटेक्सिटल फेयर में भारतीय निर्यातकों ने बुनकरों की हाडतोड़ मेहनत से तैयार आकर्षक डिजाइन वाले कालीनों व फ्लोर कवरिंग के बूते देश का नाम रोशन कर रहा। हेमटेक्सिटल में कालीन निर्यातकों के स्टाॅलों पर विदेशी खरीदारों द्वारा काफी पूछताछ की जा रही है। फेयर में भारतीय स्टाॅलो पर विभिन्न प्रकार के डिजाइन एवं आकर्षक कलर वाली कालीनों की डिमांड है। फेयर के तीसरे दिन भी काफी संख्या में कालीनों के आयातकों ने शिरकत की। वहीं भदोही के विख्यात फर्म जमीला रग्स इंडिया कार्पेट मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स के कालीन स्टाल पर अमेरिकन बायर सहित दुनिया के विभिन्न देशों के बायरो ने स्टाल में लगे भारतीय कालीन की इंक्वायरी की तो वहीं नए-नए लुक में बने कालीनों को हांथो से स्पर्श भी किया। बायर ने कहा वेरी गुड इंडियन कार्पेट, वेरी गुड कलर कम्बीनेशन एंड वेरी गुड डिजाइन, इंडियन कार्पेट आफ द बेस्ट कार्पेट्स। बायरो ने इंक्वायरी के साथ ही साथ आर्डर भी दिए। वहीं नगर पालिका परिषद भदोही के चेयरमैन पति एवं जमीला रग्स इंडिया कार्पेट मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स के पॉर्टनर वरिष्ठ कालीन निर्यातक डॉ0 मो0 अतहर अंसारी से पत्रकार आफ़ताब अंसारी ने दूरभाष पर बात की तो उन्होंने बताया कि जर्मनी के फ्रैंक फर्ट सिटी में लगे हेमटेक्सिटल कालीन मेले में जो भी आयातक आ रहे है वह सभी सीरियस है वे भारतीय पवेलियन में लगे सभी स्टालों पर घूम-घूम कर कालीनों का अवलोकन कर रहे है तथा बहोत से निर्यातकों को सैम्पलिंग आर्डर भी मिले है। श्री अंसारी ने कहा मेला अच्छा जा रहा है। मेले में इंडियन हैंडलूम, टफटेड की ज्यादा डिमांड है तो वहीं अच्छे व सस्ते कालीनों को बायर ढूंढ रहे है। कहा मेले से अच्छे व्यापार होने की काफी उम्मीदें है। श्री अंसारी ने बताया कि हेमटेक्सिटल फेयर में हाल नंबर 5 में भारतीय पवेलियन बना है। जिसमें निर्यातकों ने अपने-अपने आकर्षक डिजाइनों व रंगामेजी वाली कालीनों की प्रदर्शनी लगाई हैं। बताया कि फ्लोर कवरिंग में विश्व का यह सबसे बड़ा चार दिवसीय हेमटेक्सिटल फेयर है जहां कई देशों के कालीन निर्माता अपने-अपने कालीनों को प्रदर्शित कर रहे हैं। कहा इस मेले से भारतीय कालीन निर्यातकों को काफी उम्मींदे होती है। इस चार दिन के फेयर में निर्यातकों को पूरे साल का आर्डर मिलता है। श्री अंसारी ने कहा जर्मनी का यह फेयर भारतीय कालीन निर्माताओं के लिए सफल और सुखद रहा।