रोशनी का महाकुंभ देखने विदेशों से आए पर्यटक 

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देव दीपावली अब केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि बनारस की पहचान और ब्रांड बन चुकी है। बनारस की अद्भुत परंपरा अब सीमाओं को लांघते हुए विश्व पटल पर गूंज रही है। रोशनी के महाकुंभ निहारने अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी,थाईलैंड और रूस से भी पर्यटक काशी पहुंच चुके हैं। कारोबारी संगठनों के मुताबिक, देव दीपावली पर एक दिन के पर्व से इस बार लगभग 10 से 15 अरब रुपए के  व्यापार का अनुमान लगाया जा रहा है। महानगर उद्योग व्यवहार समिति के अध्यक्ष प्रेम मिश्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फार लोकन’अभियान और स्वदेशी के नारे का असर भी इस पर्व पर दिख रहा है, जिससे स्थाई उत्पादों की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है। करीब 8 किलोमीटर लंबे घाट क्षेत्र मैं असंख्य दीपों की पंक्तियां लहरों के साथ फिर कटी हुई नजर आएगी।
इंडोनेशिया नेपाल से आई रुद्राक्ष की मालाएं:
कारोबार यू के मुताबिक, देव दीपावली पर पर्यटकों की पहली पसंद बनारसी साड़ी ,रुद्राक्ष और मोती की मलाई, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, पूजा सामग्री और काशी के प्रसिद्ध की उत्पाद होते हैं। रुद्राक्ष की माय लव की विक्रेता अंजलि ने बताया कि इंडोनेशिया और नेपाल से बड़ी मात्रा में मालाएं मंगाई गई है। जिनकी कीमत 2 हजार से 2 लाख तक है। देव दीपावली के पहले से ही खान-पान को लेकर बाजार में काफी हलचल है। बड़े और छोटे रेस्टोरेंट, बनारसी चार्ट , कचौड़ी- जलेबी के दुकानों पर भी खूब भीड़ उमड़ेगी।
काशी की विभूतियों की स्मृति में जलेंगे दीप:
80 स्थित पुष्कर तालाब पर देव दीपावली पर काशी की महान विभूतियों के नाम से दीप जलेंगे। भारत पं़मदन मोहन मालवीय, पद्मविभूषण गिरिजा देवी, पर्यावरणविद प्रो. वीरभद्र मिश्र, पद्मविभूषण पं़ किशन महाराज, शहनाई सम्राट उस्ताद बिस्मिल्लाह खान,पं़ जगन्नाथ त्रिपाठी, पं़ शारदा प्रसाद मिश्रा, पं़ त्रिभुवन नाथ मिश्रा सहित काशी की महान विभूतियों की समिति में दीपदान होगा। जागृति फाउंडेशन के महासचिव रमेश मिश्रा ने बताया कि देव दीपावली पर काशी की महान विभूतियों की स्मृति में अस्ति स्थित पुष्कर तालाब, बर्थडे की स्थिति सोनभद्र तालाब और रानी लक्ष्मी बाई की जन्मस्थली पर वीरांगना की स्मृति में दीप जलाया जाएगा।

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