गाजीपुर से वाराणसी को जोड़ने वाले पुराने गोमती पुल पर अभी नहीं चलेंगे वाहन, एक पुल के सहारे चल रहा है यातायात 

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  • गाजीपुर। वाराणसी गोरखपुर हाइवे पर गाजीपुर और वाराणसी जिले को जोड़ने वाली गोमती नदी पर बने पुराने पुल के सुरक्षा मानकों की जांच पड़ताल के नाम पर समय बिताया जा रहा है। हाइवे के इंजीनियरों के अनुसार अब तक आधा दर्जन बार इस पुल की जांच की जा चुकी है। अभी तक किसी भी जांच दल द्वारा इस पुल पर आवागमन की अनुमति नही प्रदान की गई है। पांच वर्ष पूर्व बने इस हाइवे और दो लेन की पुल के देखरेख का जिम्मा कार्यदायी संस्था पीएनसी के जिम्मे है। जिसमें इस पुल के सुरक्षा जिम्मेदारी का समय पूरा होने में मात्र दो माह का समय बचा है। इसी समय को येन केन प्रकारेण बिताने के लिए सुरक्षा जांच के नाम पर टीम दर टीम को बुलाया जा रहा है। जांच के बाद किसी भी टीम ने इस पुल को खोलने लायक नही समझा है। कार्यदायी संस्था ने हाइवे निर्माण के दौरान गोमती नदी पर बने साठ साल पुराने पुल को ही रंगरोगन कर हाइवे में वाराणसी से गाजीपुर जाने वाली लेन में मिला दिया। अपनी जर्जर और कमजोर अवस्था में इस पुल के रेलिंग कई बार टूटे और वाहनों को नदी में नीचे गिराया भी है। इस पुराने पुल के बीम में भी दरारें और टूट साफ दिखते है। पिछले महीने नाविकों ने पुल के नीचे पिलर्स पर लगे बेयरिंग के खिसकने की शिकायत पुलिस में की थी। जिसे संज्ञान में लेते हुए इस पुराने पुल पर यातायात प्रतिबंधित कर दिया गया है। पिछले एक महीने से कार्यदायी संस्था पीएनसी और हाइवे एथॉरिटी के बीच पुल के मानकों की जांच पड़ताल की जा रही है। जांच दल के इंजीनियरों ने भी इस पुल के फुटपाथ को कमजोर और खतरनाक बताया है। आठ पिलरों पर टिके इस पुल के प्रत्येक पिलर पर तीन तीन बेयरिंग लगे है। जिनमें कुछ बेयरिंग में झुकाव व खिसकने की शिकायत की गई थी। अभी भी सुरक्षा की जिम्मा संभालने वाली पीएनसी इस पुल को किसी तरह दो महीने टालने या बेयरिंग की धुलाई व साफ सफाई कर पुल को चलाने की कोशिश में लगी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कार्यदायी संस्था के टालने वाले रवैये से किसी भी भारी जन हानि हो सकती है। इस पुल को नए सिरे से मरम्मत या निर्माण किया जाना बहुत जरूरी है।

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