उन्नाव संत सम्मेलन में हुआ महिला आरक्षियों का स्वागत सम्मान 

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उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य श्याम त्रिपाठी ने पहुंच कर संतो का स्वागत किया उसके बाद अपने सम्बोधन के दौरान कहा कि संतों को सात्विक, सदाचारी, और सर्वहितकारी माना जाता है.  संतों का आगमन सदा सुखकारी होता है. संतों की महिमा धार्मिक और आध्यात्मिक साहित्य में मिलती है. संतों के बारे में कहा जाता है कि उनके हृदय में सात्विक चिंतन होता है और प्रभु का वास रहता है. संतों के बारे में कहा जाता है कि वे भगवान के सच्चे भक्त होते हैं और परदुख से उनका  दय शीघ्र द्रवित होने लगता है. संतों के बारे में कहा जाता है कि वे अपने आध्यात्मिक ज्ञान, भक्ति, और अनुभवों के माध्यम से लोगों को दिव्य ज्ञान का साझा करते हैं. संतों के बारे में कहा जाता है कि वे अपने ईश्वर और मानवता के प्रति अद्वितीय प्रेम और भक्ति का प्रतीक होते हैं.संतों के बारे में कहा जाता है कि वे अपने परिवेश को गुलाब की सुगंध से सदैव सुवासित करता रहता है. आज मुझे भी संत चरणों मे नमन करने का आज हमें सौभाग्य उनवा संत सम्मेलन मे मिला है,, आप सब बहुत सौभाग्य शाली है की संत सम्मेलन मे सतत सहभागिता रहती है आयोजन मे पूज्य राम स्वरूप  देवी प्रसाद जी,पूज्य प्रहलाद जी, पूज्य राजप्रकाशजी, पूज्य विनोद जी, साध्वी राखी जी, नीलम जी सहित संत विद्वान गणो का स्वागत पूजन करने के बाद बाल कल्याण न्यास पीठ अध्यक्ष प्रीती सिंह ने सभी को नमन करते हुए मातृ शक्ति के त्याग और बलिदान पर चर्चा की,,उपपुलिस अधीक्षक सफीपुर माया राय  ने नारी शक्ति मिशन की चर्चा करते हुए उपस्थित भक्तो को जागरूक किया,आयोजन मे विभिन्न थानो से आई  महिला आरक्षियो को प्रतीक चिन्ह और अंगवस्त्र देकर स्वागत किया गया

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