गाजियाबाद, आधुनिकता ने भारत की पारंपरिक ज्ञान व्यवस्था को काफी क्षति पहुंचाई है और लिटरेचर फेस्टिवल्स के द्वारा हम इन चीजों को फिर से अपने जीवन में वापस ला सकते हैं। प्रख्यात शिक्षाविद् और दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के भूतपूर्व प्रोफेसर श्री टी एस सत्यनाथ ने आज क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, दिल्ली-एनसीआर के साहित्य उत्सव के दौरान चर्चा करते हुए यह बातें कही। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन कई सारे जीवंत मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक उर्वर जमीन की भूमिका निभाते हैं। कार्निवलस्क इन इंडियन लिटरेचरः ट्रांसलेटिंग एंड रीक्रिएटिंग वॉयसेस के नाम से इस लिट फेस्ट में चर्चा करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी के प्रोफेसर श्री हैरिस कादिर ने कहा कि अनुवादक को अनुवादित भाषा से जुड़ी संस्कृति को भी जानना चाहिए। डिपार्टमेंट आफ इंग्लिश एंड कल्चरल स्टडीज के तत्वावधान में आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर पॉम्पी बासुमातारे ने किया। लिट फेस्ट का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित करके कैंपस डायरेक्टर डॉ फादर जोसी पी जॉर्ज, फादर सनी जोसेफ और डॉ. फादर पीटर एमवी. के द्वारा किया गया। डॉ अनुजा सिंह (हेड), डॉ प्रभा ज़करियास (कोऑर्डिनेटर), डॉ ज्योति प्रकाश पुजारी और डॉ अदिति दीर्घांगी तथा डॉ तनुप्रिया पवाँर ने कार्यक्रम का सफल आयोजन किया।