भारत की बड़ी आबादी हाइपरटेंशन का शिकार

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हाइपरटेंशन जिसे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या के रूप में भी जाना जाता है, ये वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति हार्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी जानलेवा समस्याओं को भी बढ़ाने वाली मानी जाती है। भारत में हाइपरटेंशन रोगियों की संख्या समय के साथ बढ़ती जा रही है। इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की हालिया रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाली है। इसके मुताबिक जून 2023 तक 27 राज्यों में लगभग 5.8 मिलियन (58 लाख) से अधिक हाई ब्लड प्रेशर वाले रोगियों का इलाज इंडियन हाइपरटेंशन कंट्रोल इनेसिएटिव (आईएचसीआई) के तहत किया जा रहा था। रोगियों की संख्या समय के साथ बढ़ती जा रही है, जो बड़ा जोखिम कारक है।
डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट में दवाओं की उपलब्धता को लेकर भी चिंता जाहिर की गई है। गौरतलब है कि आईएचसीआई, नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के कारण समय से पहले मृत्यु दर को 25 प्रतिशत तक कम करने के सरकार के लक्ष्य पर काम कर रही है। यह पहल 2017 में शुरू की गई थी और इसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, राज्य सरकारें और डब्ल्यूएचओ-भारत शामिल हैं।
दवाओं की उपलब्धता बड़ी चिंता
‘ग्लोबल रिपोर्ट ऑन हाइपरटेंशन’ में कहा गया है कि आईएचसीआई के तहत देश के 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हाई ब्लड प्रेशर की रोकथाम के लिए एक मानक उपचार प्रोटोकॉल विकसित किया है। हालांकि अभियान के लॉन्च होने के बाद सामने आने वाली चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि दवाओं की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है, रोगियों की संख्या बढ़ी है।


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