163 साल पुरानी परंपरा में राहुल का 756 नंबर वाला दांव!

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राहुल गांधी ने गुरुवार को एक बार फिर से रोज कमाने खाने वालों की श्रेणी में आने वाले कुलियों से मुलाकात कर बड़ी सियासी हलचल पैदा कर दी। कांग्रेस पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी से कुलियों ने मुलाकात करने के लिए कहा था…

163 साल पहले जब पहली भारतीय रेल पटरी पर दौड़ी थी, तबसे कुली रेलवे का अहम हिस्सा हैं। कुलियों की परंपरा में कुली का बिल्ला पहनने वाला उनके परिवार का ही सदस्य होता है और उनके पेशे को आगे बढ़ाता है। राहुल गांधी ने जब गुरुवार की सुबह आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर 756 नंबर वाला कुली बिल्ला पहना, तो वह कुलियों की उसे परंपरा के अहम हिस्से भी बन गए जो कि बीते डेढ़ सौ साल से चलती चली आ रही है। फिलहाल राहुल गांधी की कुलियों से मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि अब राहुल गांधी किस समुदाय से मिलने वाले हैं। राहुल गांधी के लिए रणनीति तैयार करने वाले कांग्रेस पार्टी के जुड़े चुनिंदा नेताओं के मुताबिक अपनी इस मुलाकात की कड़ी में राहुल गांधी अभी और उन लोगों से मुलाकात करने वाले हैं, जो न सिर्फ रोज कमाने खाने वालों की श्रेणी में आते हैं, बल्कि अपने भविष्य के लिए चिंता भी कर रहे हैं। हालांकि राहुल गांधी ने गुरुवार को कुलियों से मुलाकात कर 756 नंबर का बिल्ला लगाकर रेलवे स्टेशन पर सामान भी उठाया। करीब नौ साल पहले राहुल गांधी ने फरवरी के महीने में चुनावी घोषणा पत्र पर मंथन करने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर खुलियों से मुलाकात की थी।

राहुल गांधी ने गुरुवार को एक बार फिर से रोज कमाने खाने वालों की श्रेणी में आने वाले कुलियों से मुलाकात कर बड़ी सियासी हलचल पैदा कर दी। कांग्रेस पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी से कुलियों ने मुलाकात करने के लिए कहा था। इसलिए राहुल गांधी ने कुलियों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं के बारे में जाना। सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि समूचे देश में तकरीबन अस्सी हजार की संख्या वाले कुली समुदाय से मिलकर राहुल गांधी क्या संदेश देना चाह रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक त्रिभुवन नाथ मिश्र कहते हैं कि सियासत में संदेश के तौर पर संख्या हमेशा मायने रखती है। लेकिन जिस तरीके से कुलियों की कम संख्या के बावजूद राहुल गांधी ने मुलाकात की, उसका सियासी संदेश देने वाला कैनवास काफी बड़ा है। मिश्रा कहते हैं कि दरअसल राहुल गांधी ने उसे समुदाय से मुलाकात करने का सिलसिला शुरू कर रखा है, जो संख्या बल में भले कम हो, लेकिन रोज कमाने खाने वालों की फेहरिस्त में उनकी संख्या करोड़ों में आ जाती है। कुलियों से मुलाकात कर राहुल गांधी ने इसी तरीके का संदेश उसे पूरे समुदाय को दिया है, जो रोज कमाते खाते हैं और इस श्रेणी में आते हैं, जिसमें कुली शामिल हैं।

 

 

 

 


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