न्यूरोलिंक की ओर से बनाए गए डिवाइस का आकार दिखने में सिक्के जैसा होगा। इस चिप को लिंक का नाम दिया जाएगा। ये डिवाइस कंप्यूटर, मोबाइल फोन या किसी अन्य उपकरण को ब्रेन एक्टिविटी (न्यूरल इंपल्स) से सीधे नियंत्रण करने में सक्षम होगा।
अब आपके मात्र सोचने भर से ही कंप्यूटर का कीबोर्ड और कर्सर चलने लगेगा। एलन मस्क के ब्रेन चिप को इन्सानी दिमाग में चिप लगाने के लिए मंजूरी मिल गई है। इसे लकवाग्रस्त मरीजों के दिमाग में लगाया जाएगा। मस्क के स्टार्टअप न्यूरोलिंक ने यह जानकारी दी।
मस्क की कंपनी ने पहले व्यक्ति कि खोज शुरू कर दी है, जिसे एक रिक्रूटमेंट प्रोसेस के माध्यम से भर्ती किया जाएगा। इस परीक्षण के दौरान लकवाग्रस्त मरीज पर चिप सेट का परीक्षण शुरू किया जाएगा। इसके लिए ऐसे लोगों को खोजा जा रहा है, जिन्हें ‘सर्वाइकल स्पाइनल कोर्ड’ की लकवा मारा हो या फिर ‘एमायोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस) जैसी बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। इस रिसर्च को पूरा करने में करीब छह वर्ष का समय लगेगा। रिसर्च एक रोबोट सर्जरी करके इंसानी दिमाग पर एक ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) को इंप्लांट करेगा। इसकी मदद से वह चिप मूव और इंटेंशन को रिसीव करेगा। इसके बाद आगे कमांड देगा। इसके बाद उस चिपसेट के साथ कंपेटेबल डिवाइस उन कमांड को रिसीव करेंगे और आगे काम करेंगे।
बिना छुए काम करेगा माउस
न्यूरोलिंक ने बताया कि शुरुआती स्टेज में उनका गोल कंप्यूटर कर्सर और कीबोर्ड को कंट्रोल करना है। यह कंट्रोल कमांड सीधे दिमाग में फिट की गई चिपेसट से मिलेगी। इसके बाद कर्सर मूव करना शुरू करेगा और कीबोर्ड से टाइपिंग होगी। उदाहरण के तौर पर समझें तो पैरालिसिस पीड़ित ब्रेन में लगी चिप के बाद वह सिर्फ सोचकर माउस के कर्सर को चला सकेंगे।
सिक्के जैसा है आकार
न्यूरोलिंक की ओर से बनाए गए डिवाइस का आकार दिखने में सिक्के जैसा होगा। इस चिप को लिंक का नाम दिया जाएगा। ये डिवाइस कंप्यूटर, मोबाइल फोन या किसी अन्य उपकरण को ब्रेन एक्टिविटी (न्यूरल इंपल्स) से सीधे नियंत्रण करने में सक्षम होगा।
मस्क की कंपनी ने पहले व्यक्ति कि खोज शुरू कर दी है, जिसे एक रिक्रूटमेंट प्रोसेस के माध्यम से भर्ती किया जाएगा। इस परीक्षण के दौरान लकवाग्रस्त मरीज पर चिप सेट का परीक्षण शुरू किया जाएगा। इसके लिए ऐसे लोगों को खोजा जा रहा है, जिन्हें ‘सर्वाइकल स्पाइनल कोर्ड’ की लकवा मारा हो या फिर ‘एमायोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस) जैसी बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। इस रिसर्च को पूरा करने में करीब छह वर्ष का समय लगेगा। रिसर्च एक रोबोट सर्जरी करके इंसानी दिमाग पर एक ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) को इंप्लांट करेगा। इसकी मदद से वह चिप मूव और इंटेंशन को रिसीव करेगा। इसके बाद आगे कमांड देगा। इसके बाद उस चिपसेट के साथ कंपेटेबल डिवाइस उन कमांड को रिसीव करेंगे और आगे काम करेंगे।
बिना छुए काम करेगा माउस
न्यूरोलिंक ने बताया कि शुरुआती स्टेज में उनका गोल कंप्यूटर कर्सर और कीबोर्ड को कंट्रोल करना है। यह कंट्रोल कमांड सीधे दिमाग में फिट की गई चिपेसट से मिलेगी। इसके बाद कर्सर मूव करना शुरू करेगा और कीबोर्ड से टाइपिंग होगी। उदाहरण के तौर पर समझें तो पैरालिसिस पीड़ित ब्रेन में लगी चिप के बाद वह सिर्फ सोचकर माउस के कर्सर को चला सकेंगे।
सिक्के जैसा है आकार
न्यूरोलिंक की ओर से बनाए गए डिवाइस का आकार दिखने में सिक्के जैसा होगा। इस चिप को लिंक का नाम दिया जाएगा। ये डिवाइस कंप्यूटर, मोबाइल फोन या किसी अन्य उपकरण को ब्रेन एक्टिविटी (न्यूरल इंपल्स) से सीधे नियंत्रण करने में सक्षम होगा।