विजय कृष्ण आचार्य की पिछली फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ हिंदी सिनेमा के दर्शक कभी नहीं भूलेंगे। ‘धूम’ सीरीज की दो फिल्में लिखने के बाद और ‘धूम 3’ के निर्देशन के बाद लगा था कि विजय का करियर सेट हो गया है। लेकिन, जीवन सेट होने का नाम नहीं है। ये लगातार प्रयोग करते रहने का नाम है। प्रयोग विफल भी होंगे लेकिन यही एक रचनात्मक व्यक्ति के सबक भी बनेंगे। और, यही नया सबक सीखकर विजय ने फिल्म बनाई है, ‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’! कथावस्तु के हिसाब से फिल्म का नाम थोड़ा अटपटा है और इसमें एक हिंदी फिल्म के नाम जैसा आकर्षण भी नहीं है। लेकिन, ये फिल्म बहुत सटीक है। समय के हिसाब से भी और मौजूदा दौर की सियासत के हिसाब से भी नहीं। हिंदी सिनेमा के लिए जैसे फिल्म ‘ओएमजी 2’ एक शुभ संकेत रही, ‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ भी इसी कड़ी में वैसा ही शगुन है जैसे उत्तर भारत में संपूर्ण शाकाहारी परिवारों में भी घर से निकलते समय दादी कहती है, ‘दह्यू मछरी लेति आयो..!