सतांव,रायबरेली* जिले की पश्चिमोत्तर सीमा पर स्थित विकास खण्ड सतांव में हैंडपंपों से निकल रहा पानी ग्रामीणों की हलक तो तर कर रहा है लेकिन तमाम ऐसी बीमारियां दे रहा है,जिससे लोगों का जिन्दगी जीना मुश्किल हो रहा है,वर्ष 2015 में जल निगम के एक सर्वे और पानी की जांच में पता चला था,कि सतांव क्षेत्र के हैंडपंपों से निकल रहे पानी में क्लोराइड की भारी कमी है और फ्लोराइड की मात्रा बहुत अधिक है जल निगम ने उस समय जिले की 1.344 बस्तियों को चिन्हित किया था और रिपोर्ट तैयार करके शासन को भेजी थी,सर्वे रिपोर्ट में सतांव ब्लॉक को फ्लोराइड में सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र बताया गया था।लेकिन जल निगम के सर्वे रिपोर्ट दाखिल कर देने के बावजूद शासन ने ग्रामीणों को फ्लोराइड की अधिकता व क्लोराइड की कमी से होने वाले बीमारियों से बचाने के लिए क्या कार्य योजाना तैयार की और कहा उस पर काम हुआ किसी को पता नहीं है,डार्क जोन में दाखिल सतांव विकास खण्ड के तीन सौ से ज्यादा गांवों मजरों में लगे हैंडपंप वर्षों से फ्लोराइड युक्त पानी उगल रहे हैं यद्यपि यह पानी पीने योग्य नहीं है लेकीन मजबूरी है कि गांव वाले यही पानी पीने के लिए मजबूर हैं