वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 8 सितंबर को आयोजित डिप्टी रजिस्ट्रार की नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव पाया गया है। इस संदर्भ में कई अभ्यर्थियों से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के बाद से जितने भी प्रतियोगी परीक्षाएं होती रही है उनमें प्रत्येक अभ्यर्थी को वस्तुनिष्ठ प्रश्न पत्रों के बाद प्रश्न पत्र वह ओएमआर शीट के उत्तर की कार्बन कॉपी प्रदान की जाती रही है। परंतु विश्वविद्यालय के इस एग्जाम में नहीं कार्बन कॉपी उपलब्ध कराई गई और साथ ही साथ प्रश्न पत्र भी दिया नहीं गया।
इसके अलावा जो ओएमआर शीट दी गई वह सामान्य और आला दर्जे की थी और उसे पर बुकलेट का नंबर दर्ज नहीं था साथ ही साथ यह बताना भी आवश्यक है कि यह चयन प्रक्रिया तीन चरणों में हुई जिसमें प्रथम चरण लिखित प्रश्न पत्र दिया गया जिसमें 100 प्रश्न थे परंतु काशी हिंदू विश्वविद्यालय के इतिहास में ऐसा काम ही देखा गया है जब प्रतिभागियों को उनका नंबर किसी भी तरह से नहीं बताया गया वही चयनित अभ्यर्थियों का भी का भी नंबर दर्ज नहीं है यह उनकी वेबसाइट पर भी नहीं दिया गया जिस किसी भी अभ्यर्थी को यह नहीं पता चल सका की कट ऑफ लिस्ट क्या थी और की जिस व्यक्ति की जो रैंक थी उसका नंबर क्या था। अखिल भारतीय स्तर के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डिप्टी रजिस्ट्रार चयन प्रक्रिया में दिए गए 100 प्रश्नों के उत्तर भी वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं कराए गए। अभ्यर्थियों के सूत्रों के अनुसार काशी हिंदू विश्वविद्यालय जिसकी रैंकिंग एनआईआरएफ में काफी ऊपर है वह भारत के केंद्रीय विश्वविद्यालय में एक उच्च स्तर के रैंकिंग वाले विश्वविद्यालय में इस तरह की गड़बड़ी वह पारदर्शिता से हटकर इस चयन प्रक्रिया को अपने से कई अभ्यर्थियों में नाराजगी रही है। इसके पूर्व विश्वविद्यालय के जितने भी छात्रों के लिए प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाती रही हैं उसमें जब से प्रवेश परीक्षाएं आयोजित हो रही हैं छात्र-छात्राओं के लिए उनका नंबर बताने के लिए एक अलग से काउंटर की व्यवस्था विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की जाती रही थी। डिप्टी रजिस्ट्रार की चयन प्रक्रिया पूर्व में इंटरव्यू माध्यम से की जाती रही थी परंतु वर्तमान विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के जिद के चलते इस चयन प्रक्रिया पर कई तरह के प्रश्न लगे हुए हैं।