जिलाधिकारी अरविंद सिंह की पैरवी से विरोध करने वालों के हौसले पस्त 

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जिलाधिकारी अरविंद सिंह
बलरामपुर में ही बनेगा मां पाटेश्वरी देवी राज्य विश्वविद्यालय
मा0 मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली डिवीज़न बेंच ने जिला मजिस्ट्रेट अरविंद सिंह एवं शासन के तर्कों को स्वीकार करते हुए PIL को खारिज़ कर दिया
टी 0बी 0लाल
 बलरामपुर/शक्तिपीठ मां पाटेश्वरी देवी के नाम से बनने वाले राज्य विश्वविद्यालय की विधिक बाधाएं समाप्त हो गई हैं। जिला प्रशासन की मेहनत रंग लाई और विश्वविद्यालय के जनपद बलरामपुर में ही बनने का रास्ता साफ हो गया है।  विश्वविद्यालय का निर्माण बलरामपुर के बजाय मंडल मुख्यालय के जनपद में हो इसको लेकर योजित की गई दूसरी याचिका माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी  है और अब विश्वविद्यालय बलरामपुर में ही बनेगा इसका रास्ता एकदम साफ हो गया है।
 ज्ञातव्य है कि विश्वविद्यालय बलरामपुर के बजाय मंडल मुख्यालय के जनपद में बने इसको लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है।
       बताते चलें कि जिला मजिस्ट्रेट  अरविंद सिंह द्वारा इस मामले में प्रभावी कानूनी  विशेषज्ञों एवं स्वयं के विवेक से माननीय न्यायालय में तथ्यों के साथ दमदार पैरवी की गई जिसके परिणाम स्वरुप माननीय न्यायालय का सुखद फैसला जनपद बलरामपुर के हक में आया है और अब विश्वविद्यालय बलरामपुर में ही बनेगा।
इन तथ्यों के साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय में हुई पैरवी, मिला हक
       माननीय उच्च न्यायालय में जिला मजिस्ट्रेट  अरविन्द सिंह ने कानूनी बिंदुओं और भौतिक तथ्यों के आधार पर मां पाटेश्वरी देवी विश्वविद्यालय बलरामपुर का बचाव करते हुए एक बहुत ही तीखा तर्क दायर किया गया  जिसमें यह तथ्य माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा गया है कि संविधान के तीन अंग यथा-कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका अच्छी तरह से स्थापित संवैधानिक सिद्धांत, जनादेश और तीन विंगों की सीमाओं को परिभाषित करते हैं। एक क़ानून जब तक कि वह संविधान के किसी भी प्रावधान के दायरे से बाहर न हो, रिट कोर्ट की समीक्षा का विषय नहीं हो सकता।
दिसंबर 2023 में इसे प्रभावी बनाने के लिए यूपी विधानसभा द्वारा एक कानून पारित/संशोधित किया गया था। इसी प्रकार कार्यकारी सार्वजनिक नीति न्यायपालिका का क्षेत्र नहीं है जब तक कि नीति संविधान के किसी प्रावधान के दायरे से बाहर न हो या इसमें किसी गलत इरादे की बू न आती हो। यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ। जिला प्रशासन द्वारा अपना पक्ष रखते हुए कहा गया कि भारत संघ की सार्वजनिक नीति के अनुसार, बलरामपुर एक आकांक्षी जिला है और रजिस्ट्रार की नियुक्ति के बाद विश्वविद्यालय अब एक पूर्ण उपलब्धि बन गया है।
जिला मजिस्ट्रेट एवं जिला प्रशासन द्वारा कहा गया कि जनपद में माँ पाटेश्वरी देवी राज्य विश्वविद्यालय, बलरामपुर के निर्माण स्थल से जनपद गोण्डा की सीमा की दूरी लगभग 5 कि0मी0 एवं जनपद श्रावस्ती की सीमा की दूरी लगभग 14 कि0मी0 है, क्रमशः लगभग 5 मिनट में गोण्डा बार्डर एवं 15 मिनट में श्रावस्ती बार्डर स्थित है। इस प्रकार देवी पाटन मण्डल में स्थापित किया जा रहा राज्य विश्वविद्यालय, मण्डल के अन्य तीनों जनपदों के मध्य में होने के साथ-साथ उनसे निकटतम जुड़ा हुआ है। इसलिए विपक्षियों द्वारा सस्ती लोकप्रियता के लिए याचिका दायर की गई है जो कि निरस्त किये जाने योग्य है। इसी आधार पर एक अधिवक्ता द्वारा विश्वविद्यालय जनपद बलरामपुर के बजाय मंडल मुख्यालय के जनपद में बने, को लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय में योजित दोनों याचिकाएं खारिज हो गईं हैं ।

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